कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी (22-MAY-22)
रवि भोई
भेंट-मुलाक़ात के बहाने तीर छोड़ते भूपेश बघेल
माना जा रहा है कि भेंट- मुलाक़ात कार्यक्रम के बहाने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब तक राज्य में अपनी नई छाप छोड़ने में सफल रहे हैं। इस कार्यक्रम में वे जनता से सीधे रूबरू होकर उनका दुख-दर्द सुन रहे हैं साथ में प्रशासन को कसने के साथ अपनी जमीन भी मजबूत कर रहे हैं। अब तक वे राज्य के दो बड़े संभाग सरगुजा और बस्तर पर निशाना लगा चुके हैं। उनका सभी 90 विधानसभा में जाने का कार्यक्रम है। हर विधानसभा में पहुंचकर कार्यकर्ताओं को सहलाने के साथ विधायकों की जमीनी हकीकत से भी वाकिफ हो जाएंगे। भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रम से निकला तीर सही जगह लगता दिखाई पड़ रहा है। अब इस तीर का तोड़ भाजपा कैसे निकालती है? यह बहुत मायने रखेगा। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कमर कसते नजर आ रहे हैं, लेकिन अभी तो ताल ठोंकने में भूपेश बघेल आगे निकल गए हैं। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ही नहीं, विरोधी दल भी उनके पीछे चलते हुए हांफते दिख रहे हैं।
राज्यसभा के लिए घमासान
जून में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर घमासान मच गया है। कांग्रेस के कई नेता पिछले दरवाजे से संसद पहुंचना चाहते हैं। दलीय स्थिति के आधार पर दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में ही जाएंगी, इसलिए भी कांग्रेस के बड़े-छोटे नेता मैदान मार लेना चाहते हैं। कभी भाजपा के सांसद रहे पी. आर. खूंटे अब कांग्रेसी बनकर सतनामी समाज के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यसभा के लिए ताल ठोंक रहे हैं। साहू, देवांगन और दूसरे समाज के लोग भी अपने प्रतिनिधि को राज्यसभा में देखना चाहते हैं, पर ख़बरों के मुताबिक एक सीट दिल्ली वालों और एक छत्तीसगढ़िया के कोटे में आएगी। दिल्ली के कोटे से पी. चिदंबरम और रणदीपसिंह सुरजेवाला का नाम हवा में है, तो छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी गिरीश देवांगन और विनोद वर्मा के नाम की चर्चा है। अब देखते हैं राज्यसभा के लिए किसकी लाटरी लगती है?
छत्तीसगढ़िया विवेक देवांगन आरईसी लिमिटेड के सीएमडी
पिछले दिनों भारत सरकार द्वारा शीर्ष स्तर पर आई ए एस अफसरों में किए गए उलटफेर में छत्तीसगढ़ का कद बढ़ा। केंद्र सरकार ने विवेक कुमार देवांगन को विद्युत मंत्रालय के आर ई सी लिमिटेड का अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नियुक्त किया है। विवेक देवांगन मणिपुर कैडर के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, पर वे मूलतः छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और प्रतिनियुक्ति पर कुछ साल तक रायपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ कैडर से 1994 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निधि छिब्बर को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। दोनों भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
कलेक्टर पर पीएमओ का बादल
कहते हैं छत्तीसगढ़ की एक कलेक्टर पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। कहा जा रहा है एक भाजपा नेता की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने कलेक्टर के खिलाफ जांच की सिफारिश के साथ शिकायतों का पुलिंदा केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेज दिया है। प्रदेश में सुर्ख़ियों में रहने वाली कलेक्टर से एक महिला अफसर भिड़ कर अपना नुकसान करा बैठी। एक बड़े नेताजी कलेक्टर के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अभी तक तो उनकी आवाज नक्कार खाने की तूती बनी हुई है। अब देखते हैं पीएमओ के इशारे पर डी ओ पी टी कलेक्टर का कुछ बाल बांका कर पाता है या नहीं ?
अमित अग्रवाल की वापसी की चर्चा
1993 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल की राज्य में वापसी की चर्चा है। अमित अग्रवाल दिसंबर 2016 से भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वे वर्तमान में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं। अमित अग्रवाल छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में कलेक्टर रहे , लेकिन उन्होंने वित्त विभाग में ज्यादा सेवाएं दीं है, पर केंद्र में डेपुटेशन में काफी रह चुके हैं। भारत सरकार ने 1989 और 1990 बैच के अफसरों को सचिव के तौर पर इंपैनल करने के लिए मंजूरी दे दी है, ऐसे में कहा जा रहा है कि वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन भारत सरकार में सचिव के रूप में इंपैनल हो जाएंगे। वे दिसंबर 2020 से राज्य के मुख्य सचिव हैं। अमिताभ जैन जून 2025 में रिटायर होंगे।
एक्शन मोड़ में ईडी
कहते हैं छत्तीसगढ़ में भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सक्रिय हो गया है और पुराने मामलों को खंगाल कर तार भी मिलाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बेटे और लालू प्रसाद यादव के यहां छापे के बीच छत्तीसगढ़ में ईडी की सक्रियता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 2023 में विधान सभा चुनाव होना है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सक्रियता और आक्रामकता से किंम कर्तव्य विमूढ़ हो चुके भाजपा नेताओं को अब केंद्र सरकार का ही सहारा है।
चिंतन शिविर में बिन बुलाए मेहमान भी
कहते हैं छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेस नेता बिन बुलाए मेहमान की तरह उदयपुर में आयोजित पार्टी के चिंतन शिविर में पहुंच गए थे। आमतौर पर संवैधानिक पदों पर बैठे लोग संगठन की गतिविधियों से दूर रहते हैं। चर्चा है कि उदयपुर में संवैधानिक पदों पर बैठे पदाधिकारी भी नजर आए। अब उन्हें चिंतन शिविर में एंट्री मिली या नहीं, यह अलग बात है ? खबर है कि ऐसे लोगों ने होटल में रहकर ही समय काटा और होटल में ही नेताओं के आसपास मंडराते रहे। भले वे छत्तीसगढ़ आकर कुछ भी डींगे हांके। बताया जाता है चिंतन शिविर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्री टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, राष्ट्रीय पदाधिकारी के नाते विकास उपाध्याय और राजेश तिवारी को ही बुलाया गया था।
भाजपा की बैठक में रमन को भाव
चर्चा है भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह की पूछपरख बनी रही। कहते हैं इस बैठक में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को न्यौता नहीं था। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया की धारा अलग ही रहती है। डॉ रमनसिंह घुलमिल जाते हैं, इस कारण उनको भाव मिल जाता है। डॉ रमनसिंह से जुड़े लोग कह रहे हैं छत्तीसगढ़ में उनको रिप्लेस कर पाना संभव नहीं है। 15 साल शासन करने के बाद जनता में उनके प्रति नकारात्मकता नहीं है और राज्य में उन्हें याद करने वाले हर कोने में मिल जाएंगे।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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