मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल
मंत्री, कलेक्टर और विधायक
कोरबा जिले के दंबग मंत्री, कलेक्टर और दो विधायकों की इन दिनों जमकर चर्चा हो रही है। दरअसल पिछले दिनों राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कलेक्टर रानू साहू पर डी. एम. एफ. मद में भ्रष्टाचार करने और जिला खनिज संस्थान न्यास को निजी कंपनी की तरह चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने न्यास की बैठक आयोजित करने में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर भी कड़ी आपत्ति जताई। मंत्री की इस चिट्ठी पर उनकी ही पार्टी कांग्रेस के जिले के दो अन्य विधायकों पुरूषोत्तम कंवर और मोहित राम केरकेट्टा पलटवार करते हुए मंत्री के आरोपों को न केवल गलत बताया, बल्कि उन पर स्वार्थपरता और दुर्भावनावश पत्र लिखने की तोहमत भी लगा दी। इस पत्राचार के बीच यह बात भी चर्चा में आई कि मंत्री इस पत्र के जरिये कलेक्टर पर कुसमुण्डा इमलीछापर से तरदा तक बन रही सड़क का बिल भुगतान के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस दबाव से बचने के लिए कलेक्टर ने दोनों विधायकों से कथित रूप से पत्र लिखाया। विधायकों ने पत्र लिख भी दिया। लेकिन यह क्या? इसके बाद कलेक्टर रानू साहू ने उक्त सड़क निर्माण कार्य के बिल भुगतान के लिए 27 करोड़ रूपयों की राशि जारी कर दी। एक ओर दोनों विधायकों का पत्र वायरल हुआ और दूसरी और चेक कटा? अब दोनों विधायकों की जान सांसत में पड़ गई है। वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। मगर अब पछताय क्या होत है, जब चिड़िया चुग गयी खेत? चर्चा है कि दोनों विधायक अब शायद ही अगली पारी खेल पायेंगे? कहा यह भी जा रहा है कि उक्त सड़क का ठेकेदार कोई और है लेकिन परोक्ष रूप से यह ठेका मंत्री का ही है और इसीलिए वे कलेक्टर पर हमलावर हैं?
भेंट- मुलाकात की दहशत
अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोरबा प्रवास तय नहीँ हुआ है, लेकिन उनकी भेंट- मुलाकात की दहशत में जिले का सरकारी अमला अभी से डूब- उतरा रहा है। सरकारी अफसर अपने अपने काम- काज को चुस्त- दुरुस्त दिखाने का इंतजाम कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो मुख्यमंत्री की मैना कहाँ-कहाँ उतर सकती है? इसकी टोह ले रहे हैं। वैसे बनी हुई बात यह भी है कि मुख्यमंत्री के प्रवास के गावों की सूचना पहले ही प्रशासन को मिल जाएगी। इसके बाद मैनेजमेन्ट आसान हो जाएगा?
शिक्षा विभाग में क्या हो रहा?
जिले में इन दिनीं शिक्षा विभाग चर्चा में आ गया है। दरअसल 10 वीं और 12 वीं का परीक्षा फल के कारण यह हो रहा है। इस साल जिले से कोई भी विद्यार्थी प्रदेश के टॉप टेन में जगह नहीं बना पाया। सवाल यह कि ऐसा क्यों हुआ? इसका दोष कुछ लोग डी. एम. एफ. पर लगाते हैं। डी. एम. एफ. की बरसात ने शिक्षा के प्रबंधकों को किसी सरकारी कम्पनी का ठेकेदार बना दिया है। उनका पूरा समय कुछ साल से खरीदी, निर्माण, बिल भुगतान, धंधे का हिसाब किताब रखने में खत्म हो जा रहा है। ऐसे में कोई मैरिट लिस्ट में जिले का नाम रौशन होने की आशा कैसे कर सकता है?
मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल, सम्पर्क- 098271 96048