नगर निगम कोरबा में सूचना का अधिकार कानून को सख्ती से लागू करने की मांग

मुख्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल को सौंपा गया ज्ञापन

कोरबा 14 मई। नगर पालिक निगम कोरबा में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करवाने तथा प्रथम अपील में दिए गए निर्णय को अपीलार्थियों को लिखित में प्रदान करने हेतु जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग मुख्य सूचना आयुक्त, राज्य सूचना आयोग छत्तीसगढ़ से की गई है।

शुक्रवार को कोरबा प्रवास पर आए राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल को उक्ताशय का ज्ञापन आर टी आई कार्यकर्ता नवनीत राहुल शुक्ल ने सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि- किसी भी लोकतंत्र में सरकारी व प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता ही सरकार व प्रशासन द्वारा स्थापित किए गए उच्चतम मानकों का प्रतीक होती है। इसी उच्च मानक को प्राप्त करने की दिशा में भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था। वर्तमान में आपके तथा अन्य आयुक्त महोदयों के नेतृत्व में राज्य सूचना आयोग के द्वारा प्रदेश में आरटीआई अधिनियम के परिपालन हेतु सराहनीय कार्य किया जा रहा है परंतु प्रदेशभर में अनेक प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इस कार्य में अवरोध उत्पन्न करने का प्रयास निरंतर जारी है। आपको सूचित करना चाहूंगा कि इसी प्रकार के कुछ अवरोध उत्पन्न करने के प्रयास नगर पालिक निगम कोरबा के अधिकारियों द्वारा भी किए जा रहें है। नगर पालिक निगम कोरबा में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा प्रथम अपील में दिए गए निर्णय को प्रार्थी को लिखित में प्रदान नहीं किया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों से इस विषय पर चर्चा करने पर उनके द्वारा यह कहा जाता है कि नगर पालिक निगम कोरबा में आरटीआई अधिनियम अंतर्गत प्रथम अपील में दिए गए निर्णय को लिखित में प्रदान करने की परंपरा नहीं रही है।

ज्ञापन में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों का यह कथन हास्यास्पद तो है ही अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत नागरिकों को प्राप्त अधिकारों का हनन भी है। क्योंकि आर टी आई अधिनियम अंतर्गत द्वितीय अपील दायर करने हेतु वांछित दस्तावेजों में अपीलार्थी को प्रथम अपील में दिए गए निर्णय की छायाप्रति भी अपील आवेदन के साथ संलग्न कर आयोग को भेजनी होती है। ऐसे में यदि किसी शासकीय संस्था द्वारा प्रथम अपील में दिए गए निर्णय को अपीलार्थी को लिखित में उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो अपीलार्थी की द्वितीय अपील आयोग द्वारा अस्वीकार किए जाने की संभावना बनी रहती है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इसके अलावा यह भी देखा गया है कि प्रथम अपील में वांछित सूचना प्रदान किए जाने का निर्णय दिए जाने के पश्चात भी सूचना से संबंधित अधिकारियों के द्वारा आवेदनकर्ता को वांछित जानकारी या सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तथा किसी भी प्रकार के लिखित आदेश के नहीं होने के कारण आवेदनकर्ता के पास प्रथम अपील में लिए गए निर्णय का कोई प्रमाण नहीं होता है जिसका अनुचित लाभ अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को प्राप्त होता है और आवेदनकर्ता को वांछित जानकारी उपलब्ध ही नहीं हो पाती है।

ज्ञापन में कहा गया है कि इस संबंध में नगर पालिक निगम कोरबा के जन सूचना अधिकारी भी अधिनियम में व्याख्यित स्पष्ट प्रावधानों के बजाय निगम की तथाकथित परंपरा का ही पक्ष लेते हुए दिखे। महोदय भविष्य में यह देश संविधान व संसद में पारित अधिनियमों के अनुसार चलेगा या समय-समय पर इनका उल्लंघन करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के स्वरचित परंपराओं के अनुसार, यह आपके निर्णय पर निर्भर है।

Spread the word