खनन प्रभावित गांवों में जल संकट को लेकर किसान सभा ने बंद कराया खदान
कोरबा 11 मई। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने विस्थापन प्रभावित ग्राम बरभांठा और पंडरीपानी में तत्काल टेंकरों के माध्यम से पानी देने की, नया बोरखनन कराने और गांव के प्रमुख तालाब का गहरीकरण कर उसमें पानी भरने की मांग को लेकर गेवरा खदान बंद करा दिया। किसान सभा का कहना है कि गेवरा प्रबंधन द्वारा प्रभावित ग्रामीणों की समस्याएं निराकरण करने गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। आंदोलन की वजह से खदान में कामकाज ठप हो गया।
एसईसीएल साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा खदान से प्रभावित ग्राम बरभांठा व पंडरीपानी मे गर्मी शुरू होते ही पेयजल की किल्लत होने लगती है। खदान क्षेत्र होने की वजह से जल स्तर नीचे चला जाता है। इस समस्या को लेकर एसईसीएल गेवरा महाप्रबंधक व जिला प्रशासन को किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, प्रशांत झा, जय कौशिक, दामोदर, जगदीश कंवर, रामायण कंवर, सरिता कंवर, सविता ने पत्र सौंपते हुए पानी की समस्या से अवगत कराया था। साथ ही कहा था कि पानी की समस्या का निराकरण नहीं होने पर गेवरा खदान बंद कराएंगे। पत्र देने के बाद भी प्रबंधन ने सकारात्मक पहल नहीं की। इस पर ग्रामीणों ने किसान सभा के साथ खदान में उतर कर काम बंद करा दिया। इससे खदान में कोयला उत्पादन व लदान प्रभावित हुआ। जानकारी मिलने पर एसईसीएल के अधिकारी स्थल पर पहुंचे, पर ग्रामीणों ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होती है, तब तक आंदोलन जारी रखा जाएगा। इस दौरान किसान सभा नेता दीपक साहू ने कहा कि बरभांठा और पंडरीपानी गांव में जल संकट काफी गंभीर है गेवरा खदान के खनन के कारण दोनों गांव में जल स्तर काफी नीचे जा चुका है, जिसके कारण प्रभावित ग्रामीणों को पानी के लिये काफी भटकना पड़ रहा है। जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि कोयला खदानों के खनन के कारण गांव के तालाब और हैंड पंप पूरी तरह सूख गये है। प्रबंधन को कोयला के उत्पादन से मतलब है लेकिन आम जनता के बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में कोई रूचि नहीं है।
किसान सभा के नेता जय कौशिक ने कहा कि खनन प्रभावित गांव में पानी उपलब्ध नहीं कराना और प्रबंधन की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को गर्मी में पानी के लिये भटकना पड़ रहा है। किसान सभा एसईसीएल के इस अमानवीय रवैये की तीखी निंदा करता है। किसान सभा के सचिव प्रशांत झा ने कहा कि खनन के कारण तालाब और हैंड पंप पूरी तरह सूख गए हैं और गर्मियों में यंहा के रहवासियों और पशुधन को भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। एसईसीएल प्रबंधन बरभांठा और पंडरीपानी में व्याप्त पेयजल संकट को दूर करने गंभीर नही है। यही वजह है कि आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की छोटी. छोटी समस्या का निराकरण गंभीरता से किया जाना चाहिएए पर प्रबंधन को केवल कोयला उत्पादन करना है और ग्रामीणों की समस्या निराकरण के प्रति गंभीर नही है।