कुसमुंडा खदान के वर्कशाप में लगी आग, लाखों के डंपर टायर जलकर राख
कोरबा 10 मई। कुसमुंडा खदान के वर्कशाप में रखे टायर व आयल में एकाएक आग लग गई। आग की लपटे इतनी उंची उठ रही थी कि एक किलोमीटर दूर से भी दिखाई दे रह थी। घटना में लाखों रुपये के डंपर के टायर जल गए। तीन घंटे की मशक्कत के बाद विभागीय टैंकर से आग पर काबू पाया गया।
साउथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की कुसमुंडा ओपनकास्ट खदान में चलने वाले भारी. भरकम डंपर के लिए अलग-अलग स्थान पर वर्कशाप बनाए गए हैं। सोमवार की शाम एक्सवेशन एक नंबर वर्कशाप में रखे आयल व डंपर के टायरों में आग लग गई। घटना की जानकारी जैसे ही कर्मियो को मिलीए,आग बझाने का प्रयास किया जाता, इसके पहले ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आग की लपटें व धुआं दूर से ही दिखाई दे रहा था। घटना की जानकारी प्रबंधन को मिलने पर विभाग के चार टैंकर व दमकल को आग बुझान में लगाया गया। आयल जलने की वजह से आग बुझाने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। आखिरकार तीन घंटे बाद आग पर काबू पाया गया, तब तक काफी मात्रा में आयल व टायर जल कर राख हो चुके थे। आग लगने की वजह से शार्ट सर्किट बताया जा रहा है कि क्योंकि जिस स्थल पर टायर व आयल रखा हुआ था, उसके उपर से ही उच्च दाब क्षमता हाइटेंशन लाइन गुजरी हुई है। संभावना जताई जा रही है कि शार्टसर्किट की वजह से निकली चिंगारी आयल पर गिरी और धीरे धीरे करते हुए आग भड़क गई। वहीं पास में रखे डंपर के टायरों को भी अपने चपेट में ले लिया।
घटना में कितना नुकसान हुआ यह स्पष्ट नहीं हुआ, पर जानकारों का कहना है कि लगभग 80 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। आगजनी में न केवल पुराने टायर ही जले हैं, बल्कि कुछ नए टायर भी रखे हुए थे, वे भी जल कर राख हो चुके हैं। कुछ टायर को ही आग से बचाया जा सका है। कुसमुंडा खदान में आगजनी की यह कोई पहली घटना नही है बल्कि इसके पहले भी वर्कशाप नंबर तीन में आग लग चुकी है। उस वक्त भी तत्कालीन महाप्रबंधक आरपी सिंह की उपस्थिति में आग पर काबू पाया गया था। घटना प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आ रही है। पुरानी घटनाओं से प्रबंधन ने सीख लिया होता तो आगजनी से बचा जा सकता था। जानकारों का यह भी कहना है कि आग शार्टसर्किट की वजह से नहीं बल्कि किसी ने लगाई होगी, ताकि अनियमितता को छिपाया जा सके।