लिंक एक्सप्रेस : आपात स्थिति में मजबूर यात्रियों की जेब पर चपत
कोरबा 9 मई। कोरबा से विशाखापट्टनम के बीच चल रही लिंक एक्सप्रेस की टाइमिंग और इसमें यात्रा करने वाला वर्ग भले ही सुविधा प्राप्त कर रहा है लेकिन अपरिहार्य कारणों से मजबूर यात्रियों की जेब पर डाका डालने का काम टीटीई कर रहे हैं। यह वर्ग वह होता है जो ऐनवक्त पर जरूरी काम से गंतव्य को जाना चाहता है और उसे काउंटर से टिकट नहीं मिलती। ऐसे में मान.मनौव्वल के दौर के साथ टीटीई अवैध कमाई करने में सफल हो जाते हैं।
दक्षिण भारत के लिए कोरबा से लिंक एक्सप्रेस का संचालन कराया जा रहा है। वापसी में इसकी समय सारिणी लगभग दो साल से बदल दी गई है। कोरबा आने का समय 11 बजे के बजाय 12.20 कर देने के साथ लोगों की दिक्कतें बढ़ी हैं वहीं कुछ मामलों में इसका एक विकल्प भी मिला है। दरअसल सुबह के समय बिलासपुर की ओर से चलने वाली सीमित गाडिय़ां हैं। ऐसे में यात्री बिलासपुर, अकलतरा, नैला और चांपा से दूसरी गाड़ी पकडऩे के लिए लिंक को अच्छा कनेक्शन मान रहे हैं लेकिन समस्या यह है कि तकनीकी कारणों से रेलवे ने निश्चित दिवस पर यात्रियों को काउंटर टिकट देना बंद कर दिया है। सबसे अजीब पहलू यह है कि यात्री इसी ट्रेन में चलने वाले टीटीई को सेट कर यात्रा कर सकते हैं। उनसे किराया के साथ-साथ कई गुना ज्यादा नजराना वसूलने के साथ टीटीई रेलवे का राजस्व बढ़ाने के साथ अपना शुद्ध मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। कई मौकों पर इसे लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होती रही है। आपत्ति इस बात पर भी जताई जाती रही है कि यात्रियों की ओर से मजबूरी बताए जाने पर भी चल टिकट निरीक्षक का हृदय नहीं पसीजता और वे कुल मिलाकर अपनी धन पिपासा को शांत करने पर ही विशेष ध्यान देते हैं। रेल प्रबंधन के द्वारा सतर्कता जागरूकता और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस व पारदर्शिता के दावे लगातार किये जाते रहे हैं लेकिन रेल गाडिय़ों में जिस तरह के कारनामे चल रहे हैं उससे पता चलता है कि सबकुछ हवा हवाई है और अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है।