पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत हजारों की आबादी अभी भी नाव के भरोसे

कोरबा 20 अप्रैल। कई दशक बीतने पर भी कोरबा जिले के विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत हजारों की आबादी को आवागमन के लिए नाव या डोंगी का सहारा लेना पड़ रहा है। सबसे अधिक दिक्कतें बारिश के सीजन में इनके सामने होती है। अनेक मौकों पर हादसे होने पर भी लोगों को राहत नहीं मिल सकी है। हरियाली और पहाड़ों से आच्छांदित इस इलाके में हसदेव नदी की उपस्थिति भले ही जीवन को खास बना रही है लेकिन समस्याएं भी बहुत ज्यादा है। यहां का आकर्षण लोगों को कश्मीर की तरह लुभाता है लेकिन भीतर की स्थिति देखकर लगता है कि मसला कश्मीर से कम नहीं।   

कटघोरा, कोरबा और पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के कई गांव नदी के किनारे हैं। दो किनारों तक जाने के लिए लोगों को या तो बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर नाव अथवा डोंगी का सहारा लेना पड़ता है। साखो, धजाक कछार, कोडिय़ाघाट, लालपुर जैसे अनेक क्षेत्र में रहने वाले लोग समस्या से दो-चार हो रहे हैं। हसदेव बांगों बांध परियोजना का निर्माण होने के बाद एक बड़ा हिस्सा डूब में आ गया। इस इलाके के लोगों को आवागमन के लिए अभी भी सही संपर्क का साधन नहीं मिल सका है। ऐसे में लोगों के बीमार पडऩे पर उन्हें बड़े शहर के अस्पताल ले जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है और अधिक समय जाया करना पड़ता है। चुनाव के दौरान भी पोलिंग पार्टी से लेकर मतदाताओं को भी दिक्कतों से जूझना होता है। कई मसलों पर यह समस्या सरकार की जानकारी में आई है लेकिन हल निकालने के लिए कुछ नहीं हुआ।     

छुरी क्षेत्र में झोराघाट से दूसरे हिस्से को जोडऩे और कोडिय़ाघाट तक संपर्क कराने के लिए पुल की जरूरत महसूस की जा रही है। इस बारे में प्रस्ताव जरूर बने लेकिन काम कुछ हुआ नहीं। ऐसा ही मामला साखो क्षेत्र का है। डुबान क्षेत्र की जनता चाहती है कि वहां के लिए भी नई तकनीक से विकल्प तलाशे जाने चाहिए ताकि वर्षाकाल में दूसरे हिस्से से कटने के दौरान होने वाली समस्याओं से मुक्त हुआ जा सके।

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