कही-सुनी @ रवि भोई
कही- सुनी (09 APRIL-22)
रवि भोई
खैरागढ़ की लड़ाई महाभारत युद्ध जैसा
खैरागढ़ उपचुनाव महाभारत के युद्ध जैसा हो गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जैसे भाजपा के बड़े-बड़े महारथी इस उपचुनाव में ताल ठोंक रहे हैं, वहीँ कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अकेले ही अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह भेदने के लिए तीर चलाते दिख रहे हैं। कांग्रेस ने अपने कई मंत्री और विधायकों को मैदान में उतारा है, लेकिन इस उपचुनाव में महासचिव पी एल पुनिया को छोड़ दें, तो कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर का कोई नेता नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा को चुनाव जितवाने की पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कंधे पर ही है। भूपेश बघेल ने खैरागढ़ फतह के लिए जिला-तहसील का दांव चला है। कहते हैं यह दांव भाजपा पर भारी पड़ता दिख रहा है, पर जातीय समीकरण और भाजपा के महारथियों के युद्ध कौशल ने खैरागढ़ के रण को रोचक बना दिया है। भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल क्षेत्र के लिए पुराने हैं, तो कांग्रेस की यशोदा एकदम नई -नवेली। कहा जा रहा है यहां मुकाबला तो भाजपा और कांग्रेस में ही है, बाकी सब वोट काटू की भूमिका में रहने वाले हैं। वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है प्रचार का पारा चढ़ रहा है और नेताओं का जोश भी कुलांचे मार रहा है। अब देखते हैं 16 अप्रैल को किसके सिर सेहरा बंधता है।
भाजपा नेताओं को संदेश
कहा जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा हाईकमान स्थानीय नेताओं के भरोसे चुनाव नहीं लड़ने वाला है। खैरागढ़ उपचुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजना इसका संकेत है। मरवाही, दंतेवाड़ा और चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव भाजपा ने स्थानीय नेताओं के दम पर लड़ा था। कोई बाहरी नेता नहीं आया था। चर्चा है कि भाजपा हर हाल में खैरागढ़ उपचुनाव जीतना चाहती है। इस कारण पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के नेताओं को प्रचार में झोंका है।
राम सिंह की जगह आएंगे डीडी सिंह ?
चर्चा है कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवीदयाल सिंह को छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त की कुर्सी मिल सकती है। वे ठाकुर राम सिंह का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल जून में समाप्त होने जा रहा है। डी. डी. सिंह अभी संविदा में मुख्यमंत्री के सचिव के साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति व पिछड़ावर्ग, सामान्य प्रशासन और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव हैं। 2000 बैच के प्रमोटी आईएएस डी. डी. सिंह को जून 2021 में रिटायरमेंट के बाद एक साल की संविदा नियुक्ति दी गई है। ठाकुर राम सिंह भी 2000 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी हैं, वे अगस्त 2016 से छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त हैं। इसके पहले डॉ. सुशील त्रिवेदी, शिवराज सिंह और पीसी दलेई आयुक्त रह चुके हैं।
जाने वालों की कतार,आने वालों का ना-नुकुर
कहते हैं छत्तीसगढ़ कैडर के 2003 बैच के आईएएस अविनाश चंपावत जल्द ही छत्तीसगढ़ को अलविदा कहने वाले हैं। चर्चा है कि वे डेपुटेशन पर नीति आयोग जा रहे हैं। अब राज्य सरकार से कार्यमुक्त होने का इंतजार है। अविनाश चंपावत अभी आयुक्त पंचायत के साथ संसदीय कार्य विभाग के सचिव हैं। 2006 बैच के आईएएस एलेक्स पाल मेनन पिछले महीने प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। कहा जा रहा है कि प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी भी भारत सरकार में डेपुटेशन पर जाना चाहते हैं, वहीं 1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा छत्तीसगढ़ लौटना नहीं चाहती हैं। ऋचा शर्मा अभी केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में संयुक्त सचिव हैं। वे अप्रैल 2019 से डेपुटेशन पर हैं। चर्चा है कि 1997 बैच की आईएएस निहारिका बारिक भी अगस्त 2022 के बाद अपनी छुट्टी बढ़ाने के मूड में हैं। निहारिका बारिक एक सितंबर 2020 से दो साल के चाइल्ड केयर लीव पर हैं।
मंत्री के सामने मंत्रियों की उडी धज्जियां
आमतौर पर मंत्री, अधिकारी-कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिश करते रहते हैं। जनप्रतिनिधि और सरकार के अंग होने के नाते इसे उनका काम और दायित्व माना जाता है, पर एक विभागीय मीटिंग में एक प्रमुख सचिव स्तर के अफसर का एक जिला स्तर के अफसर को फटकार के साथ उसकी पोस्टिंग के लिए छह मंत्रियों की सिफारिश को लेकर कटाक्ष चर्चा का विषय बन गया है। कहते हैं इस मीटिंग में विभागीय मंत्री भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने अफसर के कटाक्ष पर जुबान नहीं खोला। अब महकमे में चर्चा चल पड़ी है कि मंत्री बड़े या अफसर ? वैसे प्रजातंत्र में मंत्रियों को अफसरों से बड़ा माना और समझा जाता है।
बृजेश मिश्रा बने पीयूआरसी के सदस्य, अब अध्यक्ष की तलाश
सरकार ने निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग (Private Universities Regulatory Commission ) के प्रशासनिक सदस्य के तौर पर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बृजेश मिश्रा की नियुक्ति कर दी है। अब आयोग के अध्यक्ष की तलाश में है। बृजेश मिश्रा रविशंकर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से लेकर रायपुर संभाग के कमिश्नर रह चुके हैं , ऐसे में माना जा रहा है कि आयोग का अध्यक्ष उनसे किसी बड़े को ही बनाया जाएगा। कहते हैं आयोग के अध्यक्ष के लिए कई लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन सरकार को अब तक कोई मुफीद नहीं लगा है। उम्मीद की जा रही है कि किसी शिक्षाविद को ही आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी मिल सकती है। अब तक शिक्षा से जुड़े लोग ही आयोग के अध्यक्ष रहे हैं।
आईएएस का ड्राइवर प्रेम
कहते हैं एक महिला आईएएस अधिकारी अपनी सेवा के लिए अलग -अलग विभागों से तीन ड्राइवर अटैच कर ली है। कहा जा रहा है एक ड्राइवर उनके पुराने विभाग से है , वहीँ दो ड्राइवर अलग-अलग विभागों के बताए जाते हैं। महिला आईएएस के पुराने विभाग के ड्राइवर को नए साहब ने विभाग में ज्वाइनिंग देने की ताकीद दी , फिर भी कोई असर नहीं हुआ। महिला आईएएस ऐसे विभाग में तैनात हैं, जिसमें किसी भी विभाग के कर्मचारी को अटैच कर सकते हैं। इस कारण नए साहब को भी चुप रहना ही पड़ा।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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