गीतादेवी अस्पताल प्रबंधन को नहीं है कानून का डर, अवैध रूप से शुरू हुआ अस्पताल का संचालन

कोरबा 27 फरवरी। गीतादेवी मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन को कानून का कोई डर- भय नहीं है। यही वजह है कि उसने लायसेंस नहीं होने के बावजूद पिछले दो दिनों से अस्पताल का संचालन अवैध रूप से प्रारम्भ कर दिया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नर्सिंगहोम एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप व्यवस्था नहीं होने के कारण गत 23 फरवरी 2022 को गीतादेवी मेमोरियल अस्पताल का अस्थायी लायसेंस जिला समिति ने निरस्त कर दिया है। इस समिति की प्रमुख कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रानू साहू हैं। जिला समिति के इस निर्णय की लिखित सूचना भी अस्पताल प्रबंधन को दी जा चुकी है। बावजूद इसके प्रबन्धन ने अवैध रूप से अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया है। जबकि स्थायी अथवा अस्थायी लायसेंस के बगैर अस्पताल का संचालन नहीं किया जा सकता।

उल्लेखनीय है कि गत 12 फरवरी 2022 को सतरेंगा निवासी सुनी बाई पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला को हाथ फैक्चर होने की वजह से आपरेशन के लिए गीतादेवी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके पति सुखसिंह का आरोप था कि तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद भी उसका इलाज नहीं किया गया और उसकी मौत हो गई। मामले ने उस समय और तूल पकड़ लिया जब रामपुर क्षेत्र के विधायक, कद्दावर आदिवासी नेता और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर अपने विधानसभा क्षेत्र को निवासी, राष्ट्रपति की दत्तक पुत्री सुनी बाई के इलाज में लापरवाही को लेकर अस्पताल के सामने धरना पर बैठ गए। इसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरते जाने की धारा 304 ए के तहत पुलिस में अपराध पंजीबद्ध किया। साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों को जिला अस्पताल शिफ्ट कर अस्पताल को सील कर दिया गया था। कलेक्टर ने पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला की मृत्यु एवं लापरवाही जैसे आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। तीन दिनों में जांच की प्रक्रिया पूर्ण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था। गीता देवी मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने जांच प्रक्रिया में पूर्णतः सहयोग करने की बात भी कही, लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से बंद पड़े गीता देवी मेमोरियल अस्पताल को खोलने के लिए कोई राहत मिलती नजर नहीं आई। इसके बाद गीता देवी अस्पताल प्रबंधन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय बिलासपुर में हास्पिटल सील किए जाने के प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध याचिका दायर किया था, जहां प्रशासनिक आदेश के विरुद्ध स्थगन मिल गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व की तरह संचालन के लिए अस्पताल का सील खोल दिया।

लेकिन इसी दौरान जिला समिति ने नर्सिंगहोम एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उसका अस्थायी लायसेंस निरस्त कर दिया। ऐसी स्थिति में अस्पताल का संचालन नहीं किया जा सकता। परन्तु अस्पताल प्रबंधन समिति के आदेश को अंगूठा दिखाते हुए और कानून की परवाह किया बिना बीते दो दिन से अस्पताल का पुनः संचालन करने लगा है। देखना है कि जिला प्रशासन अब अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कट कार्रवाई करता है? और यह भी की कार्रवाई करता भी है या नहीं?

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