भारतीय सिनेमा के पितामह थे दादा साहब फाल्के

•धुंडिराज गोविन्द फालके दादासाहब फाल्के वह महापुरुष हैं जिन्हें भारतीय फिल्म उद्योग का ‘पितामह’ कहा जाता है, उनका जन्म 30 अप्रैल 1870 में हुआ था।

•दादा साहब फालके, सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से प्रशिक्षित सृजनशील कलाकार थे, वो प्रथम भारतीय चलचित्र बनाने का असंभव कार्य करनेवाले वह पहले व्यक्ति बने। उनका निधन आज के दिन 16 फरवरी 1944 को हुआ था।

•भारतीय सिनेमा उद्योग दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। भारत का लगभग हर दूसरा नौजवान फिल्मों में काम करने के बारे में सोचता है, लेकिन दादा साहेब ने सिने जगत को अस्तित्व व पहचान दी।

•दादा साहेब ने हिंदुस्तान की पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई। 3 मई 1913 को इसे कोरोनेशन सिनेमा बॉम्बे में रिलीज किया गया। यह भारत की पहली फिल्म थी।

•उनकी कंपनी हिंदुस्तान फिल्म्स,वह देश की पहली फिल्म कंपनी थी। अपने फिल्मी करियर में उन्होंने 95 फिल्म और 26 शॉर्ट फिल्में बनाईं। उनकी बेहतरीन फिल्मों में मोहिनी भस्मासुर, सत्यवान सावित्री, लंका दहन ,श्री कृष्ण जन्म और कालिया मर्दन शामिल हैं। उनकी आखिरी मूक मूवी सेतुबंधन थी और आखिरी मूवी गंगावतरण थी।

•भारत सरकार ने दादा साहेब की 100 वी जयंती पर 1969 में ‘दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड’ देना शुरू किया। यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।

•साउथ सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रजनीकांत को वर्ष 2021 के लिए 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सबसे पहले यह पुरस्कार पाने वाली देविका रानी चौधरी थीं।

•दादा साहेब फाल्के के साथ ही भारतीय सिनेमा का वह स्वर्णिम सफर शुरू हुआ जिसने आज अपनी एक विशिष्ट पहचान बना ली है।

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