मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल
बे-काम हुए भाजपा नेता
छत्तीसगढ़ की सत्ता क्या गई? राज्य के भाजपा नेता बे-काम हो गये। काम नहीं रहा ये तो एक समस्या है, लेकिन यह अपने साथ एक और समस्या ले आई। नई समस्या हैं टाईम- पास की। बेकाम आदमी आखिर अपना समय व्यतीत कैसे करे? राज्य के संगठन के छत्रप शायद इस समस्या से ज्यादा ही ग्रस्त हो गये थे? उन्होंने समस्या का समाधान भी ढूंढ लिया है। कोरोना काल है। अब सारी बैठकें वर्चुअल होती हैं। वर्चुअल बैठक में कौन शामिल हुआ और कौन नहीं? यह तस्दीक करना जरूरी समझा जाता है। तो, संगठन के छत्रप बैठक शुरू होते ही सबसे पहले नेताओं को उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कहते हैं। एक-एक नेता बारी-बारी से ऑनलाईन हाजिरी देते हैं। घंटा-सवा घंटा, हाजिरी लेने-देने में बीत जाता है। इसके बाद शुरू होती है असली बैठक। विषय पर कोई एक घंटा चर्चा होती है। फिर बैठक खत्म। छत्रप के तौर तरीके से पार्टी के नेता परेशान हैं। वो, कहते हैं- जिले के नेताओं को पहले ही सबकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्यों नहीं कह देते? वही हाजिरी ले लेते। घंटा-सवा-घंटा हाजिरी के चक्कर में क्यों बर्बाद करते हैं? अब इन नेताओं को कौन समझाये? छत्रप टाईम पास की समस्या से जूझ रहे हैं? सभी नेता उन्हें, अपनी तरह काम- धाम वाला क्यों समझते हैं?
तुम डाल-डाल, हम पात-पात
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों रेत माफिया से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने रेत माफिया की नकेल कसने का निर्देश दिया, तो पूरे प्रदेश का प्रशासनिक अमला मानों नींद से जागा। कोरबा भी रातों -रात, आंखें मलते उठ खड़ा हुआ। ताबड़- तोड़ कार्रवाई शुरू हुई। कई रेत चोर प्रशासन के जाल में फंस गये। अजूबा यह कि प्रशासन अपने दफ्तर से बाहर आया तो रेत चोर लाईन लगाकर यह कहते हुए खड़े हो गये कि आईये हुजूर हमें पकड़ लीजिये। यह है हमारी व्यवस्था। मुख्यमंत्री की नाराजगी के पहले खनिज विभाग या प्रशासन को रेत चोरी की खबर ही नहीं थी, लेकिन मुख्यमंत्री जी को रेत चोरों की प्रतिभा का सही-सही अंदाजा अभी भी नहीं हैं। कोरबा शहर में अब रायल्टी के साथ मगर बढ़े हुए दर से रेत बिक रही है। ये तो नागरिकों को उल्टा पड़ गया। एक खास बात जो खनिज विभाग और प्रशासन को नहीं मालूम वह यह है कि रेत की चोरी अभी भी जारी है। अन्तर बस इतना आया है कि रेत चोर पास- पड़ोस के पंचायतों की रायल्टी पर्ची के साथ कोरबा के शहरी रेत घाटों से रेत निकाल कर बेच रहे हैं। मुख्यमंत्री के आदेश से नागरिकों का तो भला नहीं हुआ, लेकिन रेत माफिया को लाभ जरूर पहुंच गया। उन्हें रेत के दाम बढ़ाने का एक और अवसर मिल गया।
नेतागिरी ऐसे चमकी
नगर निगम कोरबा के ग्रामीण वार्ड में एक तथाकथित नेता है। चाम्पा मार्ग पर होने वाले सभी दो नंबरी कामों में सरगना की भूमिका में रहते हैं। मामला रेत चोरी का हो, कोयला चोरी का हो या राशन चोरी का। हर जगह एक ही नाम आता है। जब तक नेताजी साथ हैं, तब तक अमन चैन है। नेता जी ने
दूरी बनायी, तो समझो सारा कारोबार चौपट। लोग कहते हैं- चोरी के कारोबार में शुरू हुई नेतागिरी इतनी चमकी कि अब राजनीति के नेता बन गये हैं। शुरूआत मानिकपुर कोयला खदान से बोरियों में कोयला चोरी की सेटिंग कराने से हुई।
कोयला चोरों की खुली पैरवी करते भी कैमरे में कैद हो चुके हैं। फिर रेत चोरी के कारोबार की पैरोकारी शुरू हुई। अगल चरण में राशन पर नजर गई। महिला समूहों के नाम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक राशन दुकानों का एलाटमेंट करा लिया। राशन दुकानें नेतागिरी के मार्फत हुई या सेवा-सत्कार से? ये संबंधित लोग ही जानें, लेकिन खाद्य विभाग के अफसरों को सब पता है। फिर भी वे कोई कार्रवाई नहीं करते। हाल ये है कि नेताजी की दसों ऊंगलियां घी में है और सिर कहाड़ी में।