महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर एकता परिषद ने उपवास रखा
कोरबा 31 जनवरी। महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर कटघोरा एकता परिषद के दर्जनों लोग एक दिन का उपवास रखे। ताकि गांधी जी का संदेश दुनिया मे फैल सके। आज दुनिया जिस तरह-तरह के संकट के दौर से गुजर रही है, उसमें महात्मा गांधी के मूल संदेश को बार-बार याद करने की जरूरत बहुत ज्यादा महसूस हो रही है। यही वजह है कि अहिंसा, सत्य, शांति, समानता, पर्यावरण, प्रकृति महिलाओं के अधिकार या लोकतंत्र को मजबूत करने का आंदोलन, उनमें बारबार हमें महात्मा गांधी के संदेश व उद्धरण सुनाई देते हैं। विश्व स्तर पर गांधीजी के कुछ मूल संदेशों की इस बढ़ती मान्यता और प्रासंगिकता के बावजूद गांधीजी के अपने देश में इन्हें मूल आधार बनाकर वैकल्पिक समाज व अर्थव्यवस्था का कोई बड़ा व असरदार प्रयास आज भी नजर नहीं आता है।
गांधीजी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई। विश्व स्थर पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम ही नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा के प्रतीक हैं । आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था-‘आने वाली नस्लें शायद ही यकीन करे कि हाड़- मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी इस धरती पर चलता-फिरता था।’ एक साधारण से शरीर में विराट आत्मा के लिए ही तो दुनिया हमारे राष्ट्रपिता को ‘महात्मा’ कहती है। आज बापू का 74 वां शहादत दिवस है। देश-दुनिया के साथ राजधानी में भी बापू को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया जाएगा। दुनिया जानती है 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड्से ने बापू की हत्या कर दी थी। आज भी देश-दुनिया में वंचितों, शोषितों को जब अपने अधिकारों की जंग लड़नी होती है तो वे गांधी जी के बताये आंदोलन की राह पर चलकर अपना हक हासिल करते हैं। आज हमारे ही देश में जिस प्रकार महात्मा गांधी को मूलभूत सिद्धान्तों को कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है वह आगे आने वाली पीढ़ियों के बीच दरारें पैदा करने के कुत्सित प्रयासों से देश की सुदृणता और सार्वभौमिकता के लिए चुनौती है। महात्मा गांधी ने अहिंसा, श्रम संस्कार,सादगी,प्रकृति सरंक्षण ,सम्पूर्ण समाज के एकजुटता, सत्य, स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन, उत्पादन में मानव श्रम का महत्व के माध्यम से स्वस्थ समाज के निर्माण के प्रयोग किये आज उन प्रयोगों की दबाने के प्रयास तेजी से हो रहे हैं।