मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल
कोरबा का छुपा-रूस्तम
कोरबा में छुपा रूस्तम बहुतेरे हैं। कौन आदमी भीतर-भीतर क्या गुल खिला रहा है? पता ही नहीं चलता। बाहर से साफ- सुथारा नजर आने वाले लोगभीतर से भी स्वच्छ हैं, कहना कठिन है। यानि लोग बाहर कुछ नजर आते हैं और
भीतर कुछ। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के एक आदेश ने ऐसे ही एक छुपे रूस्तम को बेपर्दा कर दिया है। कांग्रेस नेता और नगर पालिक निगम कोरबा के पूर्व सभापति धुरपाल सिंह कंवर के चेहरे पर लगा मुखौटा उतर गया है। असल में कोरबा जिले में इन दिनों सड़कों और रेल कारीडोर का निर्माण हो रहा है। स्वाभाविक है कि इनके लिए निजी और सरकारी जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। ऐसे अर्जित करने वाली जमीनों का सर्वे के बाद खरीदी -बिक्री प्रतिबंधित कर दी जाती है। हरदी बाजार -तरदा सड़क और कटघोरा- छूरी- कोरबा -चाम्पा सड़क के लिए भी सर्वे किया गया और जमीनों की खरीदी ब्रिकी प्रतिबंधित कर दी गयी। लेकिन प्रदेश के राजस्व मंत्री के गृह जिले में प्रतिबंध बेअसर रहा। नियम- कानून को ताक में रखकर ऐसी जमीनों की अवैध-खरीदी बिक्री की गयी और रजिस्ट्री से लेकर नामान्तरण तक कर दिया गया। खास बात यह है कि बड़ी जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खरीदा बेचा गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 12 डिसमिल से कम जमीन का मुआवजा अधिक दर से जो दो से दस गुना तक होता है, दिया जाता है। जबकि 12 डिसमिल से अधिक भूमि का अर्जन एकड़ की दर से होती हैै, जो कम होता है। इस नियम का योजना, बनाकर प्रभावशाली लोग फायदा उठाने में जुट गये। इनमें सीधे-सरल लगने वाले कांग्रेस नेता धुरपाल सिंह कंवर भी शामिल है। उन्होंने भी स्वयं और परिजनों के नाम पर
छोटे-छोटे टुकड़ों में कई जमीनें खरीदी। इस साजिश का रचयिता वह स्वयं है अथवा उसके पीछे भी कोई और छुपा रूस्तम हैै? कहना कठिन है। सच्चाई, सूक्ष्म जांच के बाद सामने आयेगी। लेकिन धुरपाल सिंह और कई अन्य लोगों ने इस तरह का खेल बड़े पैमाने पर किया है। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के निर्देश पर पुलिस ने एफ. आई. आर. दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। जरूरत निष्पक्ष जांच के साथ मामले के अंतिम सिरे तक पहुंचने की है। यानि असली छुपा रूस्तम की पहचान जरूरी है।
भारत माला में भी गोलमाल
सड़क मुआवजा घोटाला की बात चली तो एक और मामले का जिक्र जरूरी हो गया है। बलौदा-उरगा-हाटी भारत माला सड़क का निर्माण हो रहा है। इस सड़क में भी मुआवजा को लेकर बड़ा घोटाला हुआ है। एक ओर जहां सड़क को घुमा -फिरा कर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है, वहीं प्रतिबंध के बावजूद इस मार्ग पर भी अवैध खरीदी- बिक्री का शिकायतें सुनने में आती रही हैं। कुदुरमाल से लगाकर नोनबिर्रा तक बड़ी -तादाद में जमीनों की अवैध खरीदी-बिक्री और नामान्तरण की चर्चा सरगर्म है। लोगों का कहना है कि कलेक्टर श्रीमती रानू साहू की नजरे इनायत इस ओर भी होना चाहिए। ताकि कुछ और सफ़ेदपोश चेहरे बेनक़ाब हो सकें।
आवेदन तो ठीक है, दक्षिणा किधर है?
कोरबा में कलमकारों की एक संस्था है। संस्था की शहर में काफी धाक है और पूछ परख भी है। बहुतों की रोजी-रोटी इस संस्था की आड़ में चल रही है। शहर के लोग पूरा खेल देख रहे हैं, लेकिन कोई बोलता नही। रोकता- टोकतानहीं। आखिर कोई अपना सिर बेवजह ओखली में क्यों डालेगा? संस्था का बड़ा
आकर्षण है। लिहाजा बहुत से लोग इसकी सदस्यता हासिल करना चाहते हैं। सदस्यता की प्रक्रिया निर्धारित है। सदस्यता के लिए आवेदन पत्र देना होता है। आवेदन पर विचार-विमर्श होता है। उसके बाद निर्णय लिया जाता है। निर्णय भी पदाधिकारियों की जरूरत के हिसाब से होता है। बहरहाल एक आवेदक सदस्यता के लिए आवेदन पत्र लेकर संस्था के मुखिया के पास जाता है। मुखिया को आवेदन सौंपता है और सदस्यता देने का अनुनय- विनय करता है। मुखिया गंभीर मुद्रा में आकर आवेदन पत्र को पढ़ता है। फिर कहता है- आवेदन तो ठीक है, पर सदस्यता के लिए दक्षिणा लगता है। दक्षिणा किधर है? आवेदक अवाक रह जाता है।
गेंदलाल शुक्ल, सम्पर्क- 098271 96048