महंगाई की मार झेल रहे कुम्हारों की स्थिति दयनीय

कोरबा 24 अक्टूबर। घूमते चाक पर उंगली की मदद से मिट्टी को मनचाहा आकार देने वाले कुम्हारों की स्थिति अच्छी नहीं है। लाक डाउन के कारण पहले ही इनके व्यवसाय की कमर टूट चुकी है। इस बार संक्रमण के मामले कम होने से व्यापार में उम्मीद जागी है। सामने दीवाली का त्योहार है इसलिए कुम्हार परिवारों ने दिए,लक्ष्मी प्रतिमा को आकार देने में जुट गए है।

सीतामढ़ी कुम्हापारा के करीबन 50 से अधिक परिवारों का यह जीवन यापन का प्रमुख साधन है। कुम्हारों के काम में मिट्टी की प्रमुख भूमिका होती है जिस पर ही सारा व्यवसाय का दारोमदार टीका होता है। जिस पर महंगाई की मार स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कुम्हारों की माने तो मिट्टी जिसकी कीमत कभी 500 रूपए टैक्टर होती थी वही आज उनको 1500 रूपए टैक्टर मिल रहा है। भूसा 3 से 5 रूपए किलो मिल रहा है। ऐसे में हमारे सारे उत्पाद मंहगे हो जाते है। लेकिन ग्राहक हमसे सस्ते में चीजों को मांगते है, जो संभव नहीं है। शासन हमे कोई छूट देती है तो निश्चित तौर पर ग्राहकों को भी सस्ते में अपने उत्पाद दे पाएंगे। इस कदम से कही न कही कुम्हारों की जिंदगी जरूर पटरी पर दौडऩे लगेगी।

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