क्वाड देशों की बैठक को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई

वाशिंगटन 17 सितम्बर। क्वाड देशों की वाशिंगटन में होने वाली बैठक को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। क्वाड देशों के नेता 24 सितंबर को वाशिंगटन में मिल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पहली बार इस बैठक की मेजबानी कर रहे हैं। इस बैठक से चीन चिढ़ गया है। इस बारे में पूछने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग के इस संगठन को किसी तीसरे पक्ष को टारगेट नहीं करना चाहिए, न ही उसके हितों को नुकसान पहुंचाना चाहिए। लिजियन ने यह भी कहा कि क्वाड समूह लोकप्रिय नहीं होगा। इसका कोई भविष्य नहीं है।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीन न केवल एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास का इंजन है, बल्कि यह शांति की रक्षा करने वाली मुख्य ताकत भी है। चीन के विकास से क्षेत्र और विश्व में शांति की ताकतों में इजाफा हुआ है। क्वाड से संबंधित संबंधित देशों को शीत युद्ध की मानसिकता और संकीर्ण सोच वाली भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को छोड़ देना चाहिए। उन्हें क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को सही ढंग से देखना चाहिए तथा क्षेत्रीय एकजुटता और सहयोग बढ़ाने के लिए और काम करना चाहिए।

पीएम मोदी भी होंगे शामिल
इससे पहले मार्च 2021 में क्वाड देशों के नेताओं ने वर्चुअल बैठक की थी। उसके बाद से यह उनकी यह पहली बैठक है। वाशिंगटन बैठक को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि पीएम मोदी क्वाड की बैठक में शामिल होंगे। वे ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रपति स्कॉट मॉरिसन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जापानी पीएम योशिहिद सुगा से मुलाकात करेंगे।

क्वाड की वाशिंगटन बैठक में सदस्य देशों के साझा हितों और क्षेत्रीय मसलों पर चर्चा की जाएगी। कोरोना महामारी, कोरोना वैक्सीन, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन आदि पर बातचीत होगी। एक फ्री, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर भी बातचीत होगी। अफगानिस्तान के हालात पर भी खासतौर से चर्चा की संभावना है। क्वाड नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात व बैठकें भी हो सकती हैं।

नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भारत-प्रशांत में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने की नई रणनीति बनाने के लिए ‘क्वाड’ की स्थापना की थी। वॉशिंगटन बैठक दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक व्यवहार के बीच हो रही है।

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