मछली बीज बेचकर सत्यनारायण ने कराया प्राइवेट स्कूल में बच्चों का दाखिला

दो महीने में कमाए लगभग डेढ़ लाख रूपए, सरकारी मदद से मोटर साईकिल भी खरीदी

कोरबा 14 सितंबर। छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती-किसानी का दर्जा मिलने के बाद किसानों में इसके लिए रूझान बढ़ा है। सरकारी मदद से मछली पालन को लाभ का धंधा बनाने के प्रयास में भी किसानों में मछली पालन के लिए उत्साह में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के किसान सत्यनारायण ने इसी उत्साह से दो महीने में केवल मछली बीज बेचकर ही डेढ़ लाख रूपए से अधिक कमा लिए हैं। इस फायदे के पैसों से सत्यनारायण ने अपनी दो बेटियों का दाखिला अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूल में भी करा दिया है। सत्यनारायण अपनी होटल से भी हर दिन 15 से 20 किलो मछली की बिक्री कर लगभग एक हजार 200 रूपए की औसतन शुद्ध आमदनी कमा रहे हैं। मछली पालन और उसकी बिक्री से फायदा मिलने से सत्यनारायण और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में तो सुधार हुआ ही है, साथ ही जीवन शैली और सामाजिक स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के सरमा गांव के रहने वाले सत्यनारायण ने खुद बताया कि सरकारी मदद से बने डेढ़ एकड़ तालाब में उन्होंने इस साल मछली बीज उत्पादन किया है। मछली पालन विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन और उन्नत किस्म के बीज को सरकारी मदद से लेकर उन्होंने इस तालाब में डाला था। सत्यनारायण ने बताया कि अपने तालाब के पास ही एक आधा एकड़ की निजी पोखरी को भी उन्होंने किराये पर लिया है और उसमें भी मछली पालन कर रहे हैं। सत्यनारायण ने बताया कि दोनों पोखरियों में उन्होंने 15 लाख मिश्रित और पांच लाख शुद्ध कतला के स्पान डालकर उनका संवर्धन किया है। इन मछली बीजों के तैयार हो जाने पर दूसरे मछली पालने वालों को बेचने से उन्हें केवल दो महीने में ही लगभग डेढ़ लाख रूपए की आमदनी हुई है। सत्यनारायण ने बताया कि उन्होंने इस राशि से अपनी दो बेटियों का दाखिला परसराम मेमोरियल इंग्लिश मीडियम स्कूल कोरबी में कराया है। सत्यनारायण के तीन बच्चे हैं। उसमें से दो बेटियां दूसरी तथा तीसरी कक्षा में पढ़ती हैं। बेटा अभी छोटा है।

सरमा गांव में ही सत्यनारायण रानी अटारी कोयला खदान मार्ग पर एक होटल भी चलाते हैं। इनके तालाब की मछलियों में से हर दिन 15 से 20 किलो मछली होटल में ही खप जाती है। मछली के व्यंजन से सत्यनारायण को लागत और अन्य दूसरे खर्चे काटकर औसतन एक हजार दो सौ रूपए की आमदनी हर दिन हो जाती है। सत्यनारायण को मत्स्य विभाग द्वारा नीली क्रांति योजना के तहत 40 प्रतिशत शासकीय अनुदान पर मछली परिवहन एवं विक्रय के लिए मोटर साईकिल भी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें मछली पकड़ने के लिए जाल और लंबे समय तक मछली को ताजा तथा सुरक्षित रखने के लिए आईस बॉक्स भी विभाग द्वारा दिए गए हैं। सत्यनारायण के पास तीन एकड़ खेत भी है और इस वर्ष उसमें धान की फसल लगाई है। मिश्रित खेती की तरफ बढ़ते हुए सत्यनारायण ने इस साल डेढ़ एकड़ रकबे में इंदिरा धान और बाकी रकबे में हाईब्रिड बुलंद धान लगाया है जिसका अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है।

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