यात्री सुविधाओं की अनदेखी, रेल संघर्ष समिति ने तय किया आंदोलन करना
कोरबा 25 अगस्त। हसदेव एक्सप्रेस का नियमित संचालन, अमृतसर एक्प्रेस और शिवनाथ की वापसी कोरबा तक करने सहित कई नई ट्रेन शुरू करने की मांग जोर पकड़ रही है। कोरबा को लेकर रेल सुविधाओं की अनदेखी काफी समय से जारी है। रेल संघर्ष समिति ने एक बार फिर तगड़ा आंदोलन करना तय किया है। काफी दिनों से सुबह और दोपहर को कोरबा से चलने वाली ट्रैन बंद पड़ी है।
कोविड समस्या नियंत्रण में होने पर भी यात्रियों को ज्यादा राहत नही दी गई। लोगों का गुस्सा कम करने के लिए सीमित गाड़िया पटरी पर बनी हुई है। इनमे भी हसदेव को 6 दिन चलाया जा रहा है। गेवरा रोड पैसेंजर को बेमतलब स्पेशल बनाकर चलाने के साथ दोगुना किराया वसूल किया जा रहा है। कोरबा
-अमृतसर को वापसी में बिलासपुर में खत्म किये जाने से यात्री परेशान है। यही हाल गेवरा रोड- नागपुर का है, जिसके पहिये मूल स्थान तक नही आ रहे है। माना जा रहा है कि एस ई सी एल की खदान से अधिकतम कोयला ट्रांसपोर्ट करने की होड़ में रैलवे यात्री हितों को किनारे कर रहा है। इसलिए रेल संघर्ष
समिति ने फिर से रैलवे को लाइन पर लाने की मानसिकता बनाई है। कहा गया कि जल्द ही इस मसले को लेकर आन्दोलन करना ही होगा। समिति ने अब बड़े स्तर पर रेल अधिकारियों की नींद तोड़ने की रणनीति से काम करने की योजना बनाई है।
इस कड़ी में आगे होने वाले आंदोलन में बड़ी संख्या में युवाओं, कर्मचारियो और विद्यार्थियों को जोड़ा जाएगा। विभिन्न कार्यों से इन लोगों को रेल यात्रा करनी होती है। इस दौरान होने वाली असुविधा के कारण ये वर्ग कई बार परेशान होता है। कोरबा से चल रही अधिकांश रेल गाड़ियों के लिए स्थानीय लोगों को आंदोलन करना पड़ा है। कई मौकों पर कुछ गाड़ियां बंद कर दी गई या उनके फेरे सीमित कर दिए गए। इसे लेकर भी लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा। क्रमिक रूप से रेल अधिकारियों के पुतले जलाए गए। हजारों की संख्या में लोगों ने कोरबा की उपेक्षा बंद करने के लिए पोस्टकार्ड भेजे। प्रदर्शन से डरकर रेलवे ने केवल आश्वासन दिया लेकिन आगे ठोस काम करने से दूरी बना ली।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का भारी-भरकम कमाई देने वाले कोरबा स्टेशनकी दुर्गति को ठीक करने के लिए रेलवे के अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। स्टेशन में यात्री गाड़ियों की प्रतीक्षा करने के दौरान बारिश होने पर लोगों को भीगना पड़ रहा है। इस स्थिति में लोगों को गीले कपड़े के साथ यात्रा करने की मजबूरी उठानी पड़ रही है। मौजूदा समस्या को दूर करने के लिए अधिकारी मौन है। भले ही रेलवे के द्वारा कोरबा के स्टेशन को मॉडल घोषित कर दिया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यहां पर सभी व्यवस्थाबिल्कुल बेहतर हैं और इस बारे में किसी को कोई शिकायत नहीं है।
वास्तविकता यह है कि रेलवे स्टेशन के ह्रश्वलेटफार्म में सीमित स्थान पर छज्जा लगाया गया है ताकि यात्रियों को धूप और बारिश मैं सुविधा हो । इसके विपरीत छज्जा के कई स्थान पर टूट-फूट होने से बारिश का पानी सीधे नीचे खड़े होने वाले यात्रियों पर आ रहा है। इसके चलते यहां पर आपाधापी की स्थिति निर्मित हो रही हैं या फिर लोगों को भीगने के साथ अपने गंतव्य को रवाना होना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि यहां पर व्यवस्था को बेहतर नहीं किया जा रहा है। इसी कारण समस्याएं हो रही है।