पंजशीर में तालिबान के मुकाबले के लिए एकत्र हो रहे गुरिल्ला
पंजशीर (अफगानिस्तान): अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने साफ कहा है कि उनकी सरकार के कमज़ोर पड़ने के बाद तालिबान ने भले ही राजधानी काबुल पर कब्ज़ा कर लिया है, लेकिन वह समर्पण नहीं करने वाले. अंडरग्राउंड होने के पहले सालेह ने रविवार को ट्विटर पर लिखा, ‘मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा, जिन्होंने मुझे चुना. मैं तालिबान के साथ कभी भी नहीं रहूंगा, कभी नहीं.’
एक दिन बाद सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आने लगीं जिनमें पूर्व उप राष्ट्रपति अपने पूर्व संरक्षक और तालिबान विरोधी फाइटर अहमद शाह मसूद के बेटे के साथ पंजशीर में नजर आ रहे हैं. यह इलाका हिंदुकुश के पहाड़ों के पास स्थित है. सालेह ओर मसूद के बेटे, जो कि मिलिशिया फोर्स की कमान संभालते हैं, पंजशीर में तालिबान के मुकाबले के लिए गुरिल्ला मूवमेंट के लिए एकत्र हो रहे हैं.
अपनी नैसर्गिंक सुरक्षा के लिए मशहूर पंचशीर वैली 1990 के सिविल वार में कभी भी तालिबान के हिस्से में नहीं आई और न ही इससे एक दशक पहले इसे (तत्कालीन) सोवियत संघ जीत पाया था. एक निवासी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘हम तालिबान को पंजशीर में प्रवेश की इजाजत नहीं देंगे. हम पूरी ताकत के साथ उसका विरोध करेंगे और लड़ेंगे.’ यह लड़ार्द एक तरह से तालिबान के खिलाफ सालेह के लंबे संघर्ष में से एक होगी.
कम आयु में ही अनाथ हुए सालेह ने गुरिल्ला कमांडर मसूद के साथ 1990 के दशक में कई लड़ाइयां लड़ीं. उन्होंने सरकार में सेवाएं दीं. 1996 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. सालेह बताते हैं कि उनका पता जानने और ‘शिकार’ के लिए कट्टरपंथियों ने उनकी बहन को भी टार्चर किया था. पिछले साल टाइम मैगजीन के संपादकीय में सालेह ने लिखा था, ‘वर्ष 1996 में जो हुआ उसके कारण तालिबान के लिए मेरे विचार हमेशा के लिए बदल गए.‘