पनिका समाज की अपनी पारंपरिक रिवाज के साथ अलग संस्कृतिः विधायक केरकेट्टा
कोरबा 12 अगस्त। पनिका समाज महासमिति का राष्ट्रीय अधिवेशन कटघोरा में आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित पाली. तानाखार क्षेत्र के विधायक और मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहित केरकेट्टा ने कहा कि पनिका समाज की अपनी पारंपरिक रिवाज के साथ अलग संस्कृति है।
गोकुल धाम कटघोरा में आयोजित इस एक दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ व दूरस्थ अंचलों से काफी संख्या में समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि केरकेट्टा ने कहा कि समाज को उनकी जहां भी जरूरत होगी, वे सदैव उपलब्ध रहेंगे। सभा को वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष 104 वर्षीय ईश्वरदास लोरिया, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा देवधर महंत, कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष डा फूल. दास महंत, ओमप्रकाश मानिकपुरी प्रदेशाध्यक्ष, जेआर साकत, किरण मानिकपुरी तथा विभिन्न प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। कार्यक्रम में समाजसेवियों का शाल, स्मृति चिंह और सम्मान पत्र भेंटकर सम्मान किया गया। इस आयोजन में विंध्य विकास प्राधिकरण रींवा के पूर्व उपाध्यक्ष रामदास पुरी अनूपपुर, सांसद प्रतिनिधि पोषकदास महंत, जिला पंचायत सदस्य सूरजपुर बिहारीलाल कुलदीप, एल्डरमेन नगर निगम चिरमिरी बल्देवदास, पूर्व एल्डरमेन इंदु पनरिया, वयोवृद्ध समाज सेवी जगधारीराम वाड्रफनगर, पूर्व अपर संचालक लोक अभियोजन जेपी पडवार, अधीक्षण यंत्री लोनिवि केपी संत, अनुविभागीय अधिकारी वन बैढन सुन्दरदास सोनवानी, सहायक संचालक ग्रामीण विकास दिग्विजय महंत, फायर आफिसर, विद्युत मंडल जीपी पनरिया, परिवीक्षा अधिकारी प्रभादास, पूर्व सदस्य जिला उपभोक्ता फोरम दर्शन मानिकपुरी, रेशमदास महासमुंद, भाटापारा से जीडी मानिकपुरी अधिवक्ता, सुमन मानिकपुरी, लीलेश्वरदास पनिका गीदम, बस्तर, डा डीपी शर्मे राजेंद्रग्राम, ईश्वरदास सरजाल, रामेश्वर पडवार अधिवक्त, मोतीदास मानिकपुरी, महा-नगर रायपुर अध्यक्ष, सुमितदास युवा प्रदेशाध्यक्ष, जिवराखनदास, प्रकाशदास रायपुर, हेमदास मनिकपुर मानिकपुरी उडीसा,पूरनदास परखंदा धमतरी, नारायण दास टांडिया प्रभृति प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यवाहक अध्यक्ष डा फूलदास महंत, सुमितदास युवा प्रदेशाध्यक्ष, जिलाध्यक्ष सुनील महंत, सचिव अधिवक्ता रवि महंत, उपाध्यक्ष अधिवक्ता लालदास का योगदान रहा।
समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और साहित्यकार डा देवधर महंत ने बताया कि पनिका जाति नहीं एक संस्कृति है। छत्तीसगढ में इस जाति की अनुमानित संख्या बारह लाख और पूरे देश में तीस लाख के आसपास है। इस जाति का आज तक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से अतिशय शोषण और दोहन हुआ है। इसलिए लोगों के मन में असंतोष और विक्षोभ व्याप्त है। मध्य प्रांत एवं बरार में सम्मिलित रियासतों के भू-अधिकार आदेश एवं नियम में यह जाति आदिम जाति के रूप में मान्य रही है। डा महंत ने कहा कि अविभाजित मध्य प्रदेश में यह जाति आदिम जातियों की सूची में सम्मिलित रही है। मध्य प्रदेश राजस्व विभाग की अधिसूचना आठ दिसंबर 1971 द्वारा इस जाति को विंध्य क्षेत्र के तात्कालीन आठ जिलों को छोडकर शेष मध्यप्रदेश के लिए वंचित कर दिया गया, जो अवैधानिक है।