लेमरू हाथी रिजर्व में छ ग सरकार की बड़ी चालबाजी आई सामने

रायपुर 25 जुलाई। उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व में सरकार की बड़ी चालबाजी सामने आई है। सरकार ने हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल 450 वर्ग किमी करने का प्रस्ताव मंगाया। विरोध हुआ तो सरकार 1995 वर्ग किमी के पुराने प्रस्ताव पर मान गई। इस बीच 17 कोयला खदानों को सहमति दे दी गई। यह खदानें हसदेव अरण्य के उसी इलाके में हैं, जिनको रिजर्व में शामिल करने के लिए सरकार सैद्धांतिक सहमति दे चुकी थी।

राज्य मंत्रिपरिषद ने अगस्त 2019 में 1995.48 वर्ग किमी का लेमरू हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। बाद में हसदेव और चरनाेई नदियों के कैचमेंट को भी इसमें शामिल कर इसे 3 हजार 827 वर्ग किमी करने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई। मई में वन विभाग ने लेमरू का क्षेत्रफल 450 वर्ग किमी तक सीमित करने की कवायद शुरू की। इसका खूब विरोध हुआ। विपक्ष ने भी सवाल उठाए। दो दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, लेमरू हाथी रिजर्व 1995 वर्ग किमी में ही बनेगा। मंत्रिमंडल में इस पर सहमति बन चुकी है। बताया जा रहा है कि वन विभाग ने फिर से इस पर प्रस्ताव बनाया है। अब इसकी अधिसूचना जारी करने की तैयारी हो रही है। सरकार के निर्णयों में इस बदलाव पर अब सवाल उठने लगे हैं।

प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व का नक्शा के अनुसार गुलाबी रेखा से नीचे लेमरू रिजर्व की सीमा है। हसदेव और चरनोई नदी का कैचमेंट जो समृद्ध जंगल है उसे कोल ब्लॉक के कारण बाहर कर दिया गया है। हसदेव नदी के कैचमेंट में सघन हसदेव अरण्य है। इस इलाके में 19 कोल ब्लॉक हैं। लेमरू हाथी रिजर्व के प्रस्तावित 1995 वर्ग किमी क्षेत्रफल में इसके केवल तीन कोल ब्लॉक नकिया-1, नकिया-2 और श्यांग आ रहे हैं। शेष 16 को रिजर्व की सीमा से बाहर कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला बताते हैं, हसदेव और चरनोई नदी का कैचमेंट जो समृद्ध जंगल है उसे कोल ब्लॉक के कारण बाहर कर दिया गया है। यहां तक कि केतें एक्सटेंशन को छोड़कर अधिकतर कोल ब्लॉक 10 किमी की परिधि से भी बाहर हैं। इस फैसले से न हसदेव बचने वाला है, न बांगो बांध और न इससे हाथियों का उत्पात कम होगा। आलोक शुक्ला ने कहा कि इस तमाम कवायद के बावजूद हसदेव अरण्य के ग्रामीण आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं।

मदनपुर में इसी जंगल को बचाने का वादा करके गए थे राहुल

आलोक शुक्ला बताते हैं कि परसा ईस्ट केतें बासेन कोल ब्लॉक से चोटिया तक के जंगल को हाथी रिजर्व में शामिल करने की सहमति बन चुकी थी। इसकी वजह से ही मदनपुर साउथ, पतुरिया गिदमूड़ी, परसा और केतें एक्सटेंसन कोल ब्लॉक को छोड़ने की भी बात हुई थी। यही वह क्षेत्र है जिसके संरक्षण का वादा राहुल गांधी ने आदिवासियों से किया था।

चार खदानों को कॉमर्शियल ऑक्सन से बाहर कराया

लेमरू हाथी रिजर्व को 3 हजार 827 वर्ग किमी करने के नाम पर ही राज्य सरकार वहां कॉमर्शियल ऑक्सन का विरोध कर रही थी। इसके लिए केंद्र सरकार से लगातार पत्राचार हुआ। पिछले साल जुलाई में केंद्रीय खान मंत्री प्रहलाद जोशी खुद रायपुर आए। सरकार से चर्चा के बाद उन्होंने श्यांग, मदनपुर उत्तर, मोरगा और मोरगा-2 कोल ब्लॉक को नीलामी सूची से बाहर करा दिया।

वन विभाग ने विधायकों की आपत्ति के नाम पर दिया था प्रस्ताव

लेमरू का क्षेत्रफल कम करने की कवायद के दौरान वन विभाग का कहना था कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव समेत कई विधायकों ने लेमरू हाथी रिजर्व को 450 वर्ग किमी तक सीमित करने का अनुरोध किया है। स्थानीय ग्राम पंचायतों ने भी हाथी रिजर्व का क्षेत्र सीमित रखने का अनुरोध किया है। उनको आशंका है कि इससे उनकी आजीविका बाधित होगी और गतिविधियां सीमित हो जाएंगी।

क्या है यह लेमरू हाथी रिजर्व

लेमरू हाथी रिजर्व हाथियों का सुरक्षित कॉरिडोर होगा। 2011 में 1143 वर्ग किमी में बनाने की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन उसे कभी लागू नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार ने 2019 में इसे 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसमें जशपुर का बादलखोल अभयारण्य, बलरामपुर का तमोरपिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र पड़ेगा। इसके लिए अलग से अधिकारी- कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। हाथियों के लिए इस रिजर्व फाॅरेस्ट में चारे-पानी की व्यवस्था होगी। जिससे हाथी यही रहेंगे बाहर नहीं जाएंगे। परिकल्पना है कि इस व्यवस्था से जनहानि और ग्रामीणों की संपत्ति को कम नुकसान पहुंचेगा।

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