कांग्रेस विधायक ने की मांड- हसदेव नदी जल ग्रहण क्षेत्र को रिजर्व क्षेत्र घोषित करने की मांग
रायगढ़ 8 जुलाई। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मांड हसदेव नदी जलग्रहण क्षेत्र को वन संरक्षण रिजर्व क्षेत्र घोषित करने की मांग की है ताकि इस क्षेत्र के आदिवासियों को विस्थापित होने से बचाया जा सके। राठिया ने अपने पत्र में लिखा है कि घरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र और नजदीकी क्षेत्र आदिवासी बाहुलय क्षेत्र है और यह संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है। यहां ग्राम सभाओं को पेसा और वन अधिकार कानून के तहत वृहद अधिकार प्राप्त है।
उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में कई जिलों में कोयला खनिज के भंडार है परन्तु उनमें से कुछ हिस्सा हमारी महत्वपूर्ण मांड एवं हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र में आता है। इन इलाकों में कोयला खनन किये जाने से बड़ी संख्या में आदिवासी बहुल्य गावों का विस्थापन भी होगा। जबकि मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में संचालित तिलाईपाली एन. टी. पी. सी. कोयला खदान का अनुभव हमे बताता है कि स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार नगण्य है। क्योकि खुली कोयला खदान में पूरी तरह से मशीनों से काम होता है।
कांग्रेस विधायक ने लिखा है कि हमारे क्षेत्र में मानव हाथी संघर्ष पहले से ही गंभीर स्थिति में है और अधिक कोयला खदान खोलने से हाथी समूह अधिक उग्र होकर गांवों में नुकसान पहुँचा सकता है। राज्य में लगभग 58000 मिलियन टन कोयले का भंडार है और उनमें से 20 प्रतिशत ही मांड/हसेदव की जलग्रहण क्षेत्र में है मेरे विधान सभा से सटे गांव कुदमुरा में आदरणीय राहुल गांधी जी ने पूरे क्षेत्र के नागरिकों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस सरकार ऐसा कोई कार्य नहीं करेगी जिससे मानव व हाथी संघर्ष बढ़े बल्कि उन्हाने आदिवासियों को विस्थापन से बचाने का भरोसा दिया था।
राठिया ने आगे कहा कि वन्य प्राणि अधिनियम के तहत यदि इस क्षेत्र में संरक्षण रिजर्व बनाया जाता है इससे आदिवासियों/आम नागरिकों के कोई अधिकार प्रभावित नहीं होते। इसमें लघुवनोपज संग्रहण वन अधिकार पटटो पर भी अनुमति रहती है साथ ही वन व वन्यजीव संरक्षण भी होता है। अतः मेरा अनुरोध है कि 209 मे ही कैबिनेट में मंजूर लेमरु रिजर्व के क्षेत्र में कोई कमी न करते हुए मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र को भी संरक्षित करने व विस्थापन से बचाने संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाये।
ऐसा करने से यह सुनिश्चित होगा कि केन्द्र सरकार इस पूरे
क्षेत्र में कोल ब्लाक आबंटित नहीं करेगी राज्य व देश की कोयला की आवश्यकता पूरी करने के लिए और भी विकल्प है जैसे कि कर्नाटक पावर कारपोरेशन का धरमजयगढ़ में कोल ब्लाक आबंटित है जबकि उसे उड़ीसा के तालचर क्षेत्र जो कि 300 कि. मी. की कम दूरी पर है वहां से कोल ब्लाक दिया जा सकता है।