भारी वाहन ने एक दर्जन मवेशियों को रौंदा, रोका-छेका अभियान की खुली पोल
कोरबा 6 जुलाई। कटघोरा-अंबिकापुर नेशनल हाइवे में तानाखार के पास भारी वाहनों की चपेट में आने से 12 मवेशियों की मौत हो गई है। एक ही रात में इतनी तादात में हुई मवेशी की मौत ने सरकार की गोठान और रोका-छेका अभियान की पोल खोल दी है।
सड़कों से मवेशियों को निजात दिलाने और उन्हे सुरक्षित गोठान तक ले जाने के लिए एक जुलाई से रोका-छेका संकल्प अभियान शुरू किया गया है। अभियान के तहत मवेशी पालकों से संकल्प पत्र भराया जा रहा है कि वे मेवशी की सुरक्षा करेंगे। अभियान को मूर्त रूप देने के लिए बनाए गए गोठानों मे चारा पानी और संरक्षकों की कमी देखी जा रही है। जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के चलते तानाखार सहित आसपास गांवों में गोठान निर्माण अधूरा है। खेतों में इन दिनों किसानों ने थरहा लगा रखा है। मेंड़ अथवा अथवा खेत के आसपास चरागन भूमि में आने वाले मवेशियों को थरहा की रखवाली करने वाले हांक देते हैं। ऐसे में मवेशियों के लिए सड़क ही ठिकाना बन गया गया। शासन की महत्वपूर्ण योजना को मूर्त रूप देने में अधिकारी कर्मचारी रूचि नहीं ले रहे। दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों का अधिकारियों के साथ सामंजस्य नहीं है। यही वजह है कि सड़क में मेवशियों की मौत हो रही। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो आए दिन मार्ग में मवेशी की मौत होते ही रहती है। इससे पहले रविवार को रिसदी मार्ग में दो मवेशियों की मौत हो गई थी। पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्र की इस घटना के संबंध एसडीएम संजय मरकाम का कहना है कि घटना में 12 मवेशियों की मौत हुई है। सचिवों को कहा गया है कि वे पंचायतों में मवेशी पालकों की बैठक लेकर सुरक्षा पर चर्चा करें। गोठान निर्माण के लिए जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर प्रशासन की योजनाओं का लाभ लें।
कटघोरा -अंबिकापुर मार्ग में जगह-जगह ढाबों का संचालन हो रहा हैं। यहां फेंके गए चावल, रोटी, सब्जी आदि सामानों का खाने के लिए मवेशियों का जमघट लगा रहता हैं। दिन भर ढाबों के आसपास भटकने के बाद रात के समय सड़कों पर ही बैठ जाते हैं। यही वजह है कि आए दिन भारी वाहनों की की चपेट में आकर मौत हो रही है। रोका-छेका के तहत मवेशियों सड़क से दूर सुरक्षित गोठान अथवा चरागन स्थल में रखा जाना है, लेकिन इसके लिए चरवाहा की नियुक्ति चारागाहों नहीं की गई। रात के समय गोठान में मवेशी रखने का नियम नहीं है, इस समय सुरक्षा की जिम्मेदारी पालकों की है। इसी वजह से संकल्प पत्र भरवाया जा रहा हैं। रात के समय मवेशी के नहीं आने पर सुध लेने की जिम्मेदारी पालकों की है।