कलेक्टर पहुंची प्रसंस्करण केन्द्र, स्वसहायता समूह की महिलाओं से ली जानकारी, समस्याएं भी पूछी
कच्चे लाख से चपड़ा और बटन उत्पादन बढ़ाने बनेगी कार्ययोजना, केन्द्र में पानी के लिए बनेगा नया नलकूप
कोरबा 23 जून 2021। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने आज पसरखेत मेँ संचालित लाख प्रसंस्करण केन्द्र का भी आकस्मिक निरीक्षण किया और लाख प्रसंस्करण के काम में लगे स्व सहायता समूह की महिलाओं से उनके काम के बारे में पूरी जानकारी ली। महिलाओं ने कलेक्टर को बताया कि षासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर ग्रामीणों से लाख खरीदकर वन समितियों द्वारा उन्हंे धोने और साफ करने के लिये उपलब्ध कराया जाता है। उनके द्वारा साफ की गई कच्ची लाख को वन समितियों द्वारा फिर कोरबा या अन्य बाजारों में व्यापारियों को बेचा जाता है। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने इस पर आष्चर्य व्यक्त करते हुये वन विभाग के अधिकारियों को कोरबा वनांचल से उत्पादित लाख का पूर्ण प्रसंस्करण करने की विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देष दिये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देषित किया कि क्षेत्र के लाख उत्पादक किसानों और प्रसंस्करण में लगी स्व सहायता समूहों की महिलाओं को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिये इस लाख से बटन और चपड़ा बनाने का यूनिट स्थापित करने की पूरी कार्ययोजना प्रस्तुत करें। कलेक्टर ने कहा कि लाख से चपड़ा या बटन उत्पादन होने पर समूहों को उसका पूरा दाम मिल पायेगा साथ ही लाख के प्रसंस्करण से चूड़ियाॅं, अन्य अलंकरण वस्तुयें आदि बनाने का भी रास्ता निकल पायेगा। जिससे भविष्य में जिले में लाख वनवासियों की आय बढ़ाने वाला अच्छा व्यवसाय बन सकेगा। इस दौरान प्रसंस्करण केन्द्र में पानी की कमी संज्ञान में आने पर कलेक्टर श्रीमती साहू ने कैम्पा मद से परिसर में नया नलकूप खनन कर पंप स्थापना के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए। इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुंदन कुमार, सीएमएचओ डाॅ. बी. बी. बोडे, जिला शिक्षा अधिकारी श्री सतीश पाण्डेय, उप संचालक कृषि श्री जे. डी. शुक्ला, सहायक संचालक उद्यानिकी श्री दिनकर, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आनंद किसपोट्टा, खाद्य अधिकारी श्री जितेन्द्र सिंह सहित सभी विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे।
इस दौरान लाख प्रसंस्करण में लगे महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि वे केवल कच्चे लाख को साफ कर बाजार में बेचने लायक बना पाते हैं। परंतु इससे चपड़ा, बटन, परफ्यूम, कैप्सूल आदि भी बन सकते हैं। महिलाओं ने बताया कि अभी उन्हें लाख की 400 से 600 रूपए प्रति किलो कीमत मिल रही है। अभी महिलाओं को प्रतिदिन 200 रूपए की आमदनी हो रही है। परंतु थोड़े प्रशिक्षण, कुछ संसाधनों और मशीनों की मदद हो जाने से यही आमदनी दो से तीन गुनी हो सकती है। कलेक्टर श्रीमती साहू ने लाख से अन्य उत्पाद बनाने के लिए संभावनाएं तलाशने और कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए।