पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी की सबसे छोटी एक मिनट की मुलाकात के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू..
■ नरेन्द्र मेहता
कोलकाता 31 मई. पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री की तनातनी और मन मे कड़वाहट अबतक बनी हुई हैं.
पश्चिम बंगाल में यास तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई समीक्षा बैठक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तरह किनारा किया, उससे उन्होंने अपने तुनकमिजाज रवैये का ही प्रदर्शन किया। उन्होंने यह तुनकमिजाजी तब दिखाई, जब प्रधानमंत्री समीक्षा बैठक करने खुद बंगाल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ प्रदेस के मुख्यसचिव अलपन बंदोपाध्याय भी इस बैठक में आधे घंटे देर से पहुंचे और विधिवत बातचीत करने के बजाय तूफान से हुए नुकसान संबंधी कुछ कागज प्रधानमंत्री को सौंप कर ममता चलती बनीं। यह प्रोटोकॉल के साथ सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार और राजधर्म के भी विरुद्ध है.निश्चित ही ममता का यह तुनकमिजाज रवैया केंद्र-राज्य संबंधों में और बिगाड़ पैदा करने का ही काम करेगा। इस धटना के बाद ममता के करीबी माने जाने वाले पश्चिम बंगाल के मुख्यसचिव अलपन बंदोपाध्याय का केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया,उनकी अगली पोस्टिंग कहां होगी ये फिलहाल तय नहीं हैं.दरअसल बंदोपाध्याय भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की समीक्षा बैठक में आधे घण्टे देर से पहुंचे थे और थोड़ी देर रुकने के बाद वहां से चले गए.जिसे सर्विस रूल्स के खिलाफ माना जा रहा हैं।
अब ममता बनर्जी के इस रवैय्ये को लेकर भाजपा नेता आग बबूला हो गए औऱ उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधना शुरू कर दिया हैं.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने जनकल्याण से ऊपर अहंकार को रखा.शाह ने कहा, ममता दीदी का आज का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है, चक्रवात यास के कारण बहुत सारे आम नागरिक प्रभावित हुए हैं और समय की मांग है कि प्रभावितों की मदद की जाए. दुखद है कि दीदी ने जनकल्याण के ऊपर अहम को रखा और आज के इस ओछे व्यवहार में यह दिखता है.इधर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल के शुक्रवार के घटनाक्रम स्तब्ध करने वाला है. मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं संस्था है. दोनों जन सेवा का संकल्प और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर दायित्व ग्रहण करते हैं. आपदा काल में बंगाल की जनता को सहायता देने के भाव से आए हुए प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार पीड़ादायक है. जन सेवा के संकल्प व संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर राजनैतिक मतभेदों को रखने का यह एक दुर्भाग्यपूर्ण उदहारण है, जो भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत करने वाला है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि ममता जी को लोगों के कल्याण के लिए अपना अहंकार अलग रखना चाहिए।उन्होंने अलग-अगल दो ट्वीट करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। जेपी नड्डा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवात यास के मद्दे नजर पश्चिम बंगाल के नागरिकों के साथ मजबूती से खड़े हैं, ममता जी को भी लोगों के कल्याण के लिए अपना अहंकार अलग रखना चाहिए। पीएम की बैठक से उनकी अनुपस्थिति संवैधानिक लोकाचार और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है।
एक अन्य ट्वीट में जेपी नड्डा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद के सिद्धांत को बहुत पवित्र मानते हैं और लोगों को राहत देने के पार्टी की परवाह किए बिना सभी मुख्यमंत्रियों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। आश्चर्य है ममता सरकार की रणनीति और क्षुद्र राजनीति एक बार फिर बंगाल के लोगों को परेशान करने लगी है।
दुसरी तरफ यास चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा बैठक के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को आधे घंटे इंतजार कराने और फिर कुछ फाइलें देकर तुरंत निकलने के आरोपों पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सफाई दी है। ममता बनर्जी का कहना है कि उस बैठक के दौरान ही राज्य के एक और इलाके में अधिकारियों के साथ उनकी मीटिंग थी। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक ममता बनर्जी ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने मीटिंग बुलाई थी। मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी और इस दौरान मेरी दीघा में मीटिंग थी। मैंने उन्हें रिपोर्ट सौंपी और 20,000 करोड़ रुपये की मदद की मांग की। 10,000 करोड़ रुपये की मदद दीघा के विकास के लिए और इतनी ही रकम सुंदरबन के विकास के लिए मांगी।’
ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने पीएम नरेंद्र मोदी से अनुमति लेने के बाद मीटिंग को छोड़ा था। उन्होंने कहा, ‘मैंने पीएम नरेंद्र मोदी को बताया कि मेरी राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग है। इसके बाद मैंने उनसे परमिशन ली और मीटिंग से बाहर निकली।’ बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वह शनिवार को राज्य में यास तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेंगी। ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘सागर और हिंगलगंज में रिव्यू मीटिंग्स के बाद मैंने पीएम नरेंद्र मोदी से कलाईकुंडा में मुलाकात की और उन्हें बंगाल में चक्रवात के बाद पैदा हुई स्थिति के बारे में बताया। मैंने उन्हें राज्य में हुए नुकसान के संबंध में भी रिपोर्ट सौंपी। अब मैं दीघा में राहत एवं बचाव कार्य की समीक्षा बैठक करूंगी।’वही भाजपा नेतृत्व वाले केंद्र पर बदले की राजनीति का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र सरकार से अनुरोध किया हैं कि वह मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को बुलाने के फैसले को वापस ले और वरिष्ठ नोकरशाह को कोविड 19 के संकट के दौरान लोगो के लिए काम करने की इजाजत दे.ममता का यह भी कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह उनकी सरकार के लिये हर कदम पर मुश्किल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे अब भी विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार को पचा नहीं पाए है.बनर्जी ने आगे कहा अगर बंगाल की वृद्धि और विकास के लिए उनसे मोदी के चरण छूने को कहा जायेगा तो वह इसके लिए तैयार हैं. अब देखना हैं कि पश्चिम बंगाल की जनता के लिए याज तूफान ज्यादा खतरनाक था या फिर ममता मोदी की कड़वाहट वाला तूफान.