कोविड के खिलाफ जंग में मजबूती से सहयोग दे रहा देश का इस्पात उद्योग
नईदिल्ली 15 मई। भारत कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। केंद्र सरकार की सभी इकाईयां, नागरिकों को हर संभव सहायता देने के लिए जुटी हुई है। देश का इस्पात उद्योग भी संसाधनों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश के अलग-अलग इस्पात संयंत्रों ने बीते दिनों 4,686 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति की है। इसके अलावा अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है। इस्पात संयंत्र पूरी जागरूकता के साथ टीकाकरण अभियान भी संचालित कर रहे हैं। विदित है कि, कोविड के समय में कई मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत महसूस हो रही है। इसी आवश्कयता को ध्यान में रखते हुए इस्पात संयंत्र, तरल ऑक्सीजन उपलब्ध करवा रहे हैं।
सेल और टाटा समूह समेत अन्य संयंत्र कर रहे तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति
देश के विभिन्न इस्पात संयंत्र, जीवनरक्षक तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहे हैं। बीते दिनों सेल (SAIL) यानि कि स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा 1,193 मिट्रिक टन, आरआईएनएल द्वारा 180 मिट्रिक टन और टाटा समूह द्वारा 1,425 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। शेष ऑक्सीजन की आपूर्ति सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की अन्य इस्पात कंपनियों द्वारा की गई। देश में अब हर दिन तकरीबन 9,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। तरल ऑक्सीजन के उत्पादन में इस्पात संयंत्रों की हिस्सेदारी कुल 50 फीसदी है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने बीते हफ्ते की थी समीक्षा
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने बीते हफ्ते मंत्रालय और सार्वजनिक इकाईयों के विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके माध्यम से उन्होंने तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति और इस्पात संयंत्रों द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की थी। उल्लेखनीय है कि इस्पात संयंत्रों को सामान्यतः अपने भंडारण टैंकों में तरल ऑक्सीजन का 3.5 दिनों का सुरक्षा स्टॉक रखने की आवश्यकता होती है,जो वाष्पीकृत हो जाता है। अगर किसी ऑक्सीजन संयंत्र में कुछ समस्या आती है, तो इन जीवन रक्षक ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है। कोविड को देखते हुए इस्पात मंत्रालय ने सुरक्षा स्टॉक को कुछ दिन के लिए कम कर दिया। इस्पात संयंत्रों के संचालकों से विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया,जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति को और गति मिली।
इस्पात संयंत्रों के आस-पास बन रहा 8,000 से अधिक बेड का अस्पताल
इस्पात संयंत्र कोविड को लेकर पूरी तरह से सतर्क हैं। संयंत्रों द्वारा देश के विभिन्न स्थानों में 8,100 बिस्तर के अस्पताल भी स्थापित किए जा रहे हैं। जिन स्थानों में अस्पताल बन रहे हैं, उनमें विजयनगर,भिलाई,बोकारो,उदयपुर,विशाखापट्टनम दुर्गापुर इत्यादि स्थान शामिल हैं। इस्पात संयंत्रों द्वारा स्थापित किए जा रहे इन अस्पतालों में ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था की जा रही है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी तरह के स्वास्थ्य उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।
संयंत्र कर्मियों और उनके परिजनों के टीकाकरण के लिए भी की जा रही व्यवस्था
कोविड के खिलाफ टीकाकरण बेहद प्रभावी है। विशेषज्ञ और चिकित्सक बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि, सभी को टीका लगवाना ही चाहिए। केंद्र सरकार भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान संचालित कर रही है। इस्पात संयंत्रों में भी बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं। इन सभी कर्मियों और उनके परिजनों के लिए भी संयंत्र संचालकों द्वारा टीकाकरण की व्यवस्था करवाई जा रही है। बीते दिनों केंद्रीय मंत्री ने भी संयंत्र के सभी कर्मचारियों और उनके परिजनों का शत-प्रतिशत टीकाकरण करने के लिए व्यापक रणनीति के साथ टीकाकरण अभियान संचालित करने के निर्देश दिए थे।