कलेक्टर का मैकअप मैन: खबर भ्रामक…, न्यूज़ एक्शन: किसी भाषा विज्ञानी से व्याख्या करा लें..!
कोरबा 12 मई। न्यूज़ एक्शन की-” मृतकगण, कृपया मरने से दो दिन पहले अपने परिजनों- शुभचिंतकों को सूचित करें, कलेक्टर का फरमान” खबर से जिले में हड़कम्प मच गया है। कलेक्टर ने आज ही अपने चर्चित आदेश को संशोधित कर नया आदेश जारी कर दिया है। लेकिन कलेक्टर का मैकअप मैन, जिला जनसम्पर्क, खबर को भ्रामक बता रहा है। न्यूज़ एक्शन इस दावे को खुली चुनौती दे रहा है-“आदेश का, किसी भाषा विज्ञानी से व्याख्या करा लें।”
दरअसल न्यूज़ एक्शन की उक्त खबर तब सुर्खियों में तब्दील हो गयी, जब छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी ने उसे अपने आधिकारिक फेसबुक पेज और ट्विटर पर मुख्य पृष्ठ बनाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टेग किया। कलेक्टर कोरबा का 10 मई को जारी आदेश का चर्चित अंश यहां पढ़िए-( स्क्रीन शॉट)
न्यूज़ एक्शन की खबर आम होने के बाद कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने 12 मई को संशोधित आदेश जारी कर दिया है, जिसमें प्रशासन के आदेश का आशय स्पष्ट किया गया है। यहां पढ़िए संशोधित आदेश-
दूसरी ओर जिला जनसम्पर्क से समाचार जारी किया गया है, जिसमें खबर को भ्रामक बताया गया है। जिला जनसंपर्क यानि कलेक्टर का मैकअप मैन की खबर यहां शब्दसः प्रस्तुत है-
प्रशासन ने जारी किया स्पष्ट संशोधित आदेश : अंत्येष्टि में शामिल होने 10 लोगों को दो दिन पहले की कोरोना जांच रिपोर्ट की बाध्यता नहीं
केवल शादी-ब्याह में शामिल होने वालों पर लागू होगा निर्देश
जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया में प्रसारित खबरों पर लिया संज्ञान
कोरबा 12 मई 2021/ कोरबा जिले में बढ़ते कोविड संक्रमण को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा शादी-ब्याह, छठी, दशगात्र, तेरहवीं जैसे सामाजिक आयोजनों के लिए मार्गदर्शी निर्देश जारी किये गये हैं। ऐसे सामाजिक समारोहों में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठे होने से कोविड संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना के चलते केवल अधिकतम 10 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति दी गई है। ऐसे सामाजिक समारोहों में शामिल होने वाले 10 लोगों को दो दिन पहले की कोरोना निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट भी साथ रखनी होगी। जिला प्रशासन से जारी इस आदेश में अंत्येष्टि या अंतिम संस्कार में भी 10 से अधिक लोगों के शामिल होने को प्रतिबंधित किया गया है। कुछ सोशल मीडिया माध्यमों में इस आदेश से संबंधित भ्रामक खबरें प्रसारित होना प्रशासन के संज्ञान में आया है। अंतेष्टि में भी शामिल होने वाले लोगों को दो दिन पहले की आर टी पी सी आर कोरोना निगेटिव जांच रिपोर्ट रखने का हवाला देते हुए भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रही है। इन खबरों को तत्काल संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन ने जनहित में संशोधित और स्पष्ट व्याख्यायुक्त आदेश भी जारी कर दिया है।
जिला प्रशासन द्वारा संशोधित आदेश में स्पष्ट किया गया है विवाह में केवल 10 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति होगी।शादी के लिए संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय राजस्व अधिकारी से विधिवत लिखित अनुमति भी आयोजकों को प्राप्त करनी होगी। अनुमति आवेदन में वर-वधू से लेकर दोनो पक्ष से शामिल होने वाले परिजनों के नाम, पता, पहचान पत्र के साथ सभी की दो दिन पहले की कोरोना नेगेटिव जाँचरिपोर्ट होने पर ही एसडीएम द्वारा विवाह की अनुमति दी जाएगी।अनुमति पत्र और नेगेटिव रिपोर्ट वाले लोगों की सूची तहसीलदार और थाना प्रभारी को भी भेजी जाएगी। अंत्येष्टि या अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भी केवल 10 लोगों को ही अनुमति होगी परंतु इन 10 लोगों को दो दिन पहले की कोरोना निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट साथ रखने की बाध्यता नहीं रहेगी।
जिला प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में आयोजित होने वाले किसी भी प्रकार के सामाजिक-पारिवारिक समारोहों की सूचना देने के लिए तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम या डायल 112 की सुविधा भी शुरू की गई है। इसके साथ ही ग्राम स्तर पर एक्टिव सर्विलंेस टीम, पटवारी, सचिव, कोटवार, पटेलों आदि को भी ऐसे समारोहों की सूचना देने के लिये निर्देशित किया गया है। सभी समाज प्रमुखों से भी ऐसे सामाजिक, पारिवारिक और धार्मिक आयोजनों को बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं करने और जहां तक संभव हो ऐसे आयोजनों को अगले 15 दिनों के लिए स्थगित रखने की भी अपील की गई है।
यहां न्यूज़ एक्शन का कलेक्टर और उनके मैकअप मैन से सीधा सवाल है कि- 10 मई का आदेश भ्रामक नहीं था तो 12 मई को स्पष्ट आदेश जारी करने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई? समाचार की हेडिंग में-” प्रशासन ने जारी किया स्पष्ट संशोधित आदेश : अंत्येष्टि में शामिल होने 10 लोगों को दो दिन पहले की कोरोना जांच रिपोर्ट की बाध्यता नहीं , केवल शादी-ब्याह में शामिल होने वालों पर लागू होगा निर्देश, जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया में प्रसारित खबरों पर लिया संज्ञान ” लिखने की जरूरत क्यों पड़ी? न्यूज़ एक्शन अपने समाचार के तथ्यों की यहां पुनः पुष्टि करता है और यह चुनौती भी देता है कि-” आप चाहें तो अपने आदेश की किसी भाषा विज्ञानी से स्पष्ट व्याख्या करा लें।” न्यूज़ एक्शन ने प्रशासन की मंशा पर पर कोई सवाल नहीं उठाया है। आदेश की भाषा और उसके अर्थ पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। महत्वपूर्ण विषयों पर आदेश जारी करते वक्त अतिशय सतर्कता को आवश्यकता होती है, जिसमें चूक के कारण ऐसी गंभीर गलतियां होती हैं।
दरअसल मैकअप मैन का काम ही बदरंग शक्ल को सँवार कर सुंदर दिखाना है। इससे पहले भी शहर के दो चिकित्सकों को शासन की भूमि विक्रय योजना के तहत संदिग्ध तरीके से भूमि आबंटित करने के प्रयास की एक सोशल मीडिया में प्रकाशित खबर को भ्रामक बताया गया था, लेकिन उस खबर के आम होने के बाद से अब तक उक्त भूमि का आबंटन नहीं हो सका है।
आश्चर्य की बात है कि ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग सच्चाई को एक सिरे से न केवल नकारने का प्रयास करते हैं वरन भ्रामक सिद्ध करने की भी कोशिश करते हैं। जबकि काम के दौरान होने वाली किसी त्रुटि को स्वीकार करने और सुधारने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह असहिष्णुता का प्रदर्शन किस लिए किया जाता है? इस पर गौर किया जाना चाहिए।