निगम सभापती के पत्र पर नागरिक संघर्ष समिती की आपत्ति.. जनसेवा की आड़ में कहीं खेला तो नहीं ?
कोरबा। आज दिनांक 9 मई 2021 को नगर पालिक निगम कोरबा के सभापति श्री श्याम सुंदर सोनी जी के द्वारा जो निगम आयुक्त श्री एस. जयवर्धन जी(IAS) को पत्र प्रेषित किया गया है वह प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के विरोधाभास को दिखाता है। एक तरफ प्रशासन जिले के सभी गरीबों एवं जरूरत मन्दो के खाने पीने की वस्तुओं का वितरण का ढिंढोरा पिटती है और दूसरी तरफ सभापति के पत्र से जो बातें निकल कर आती हैं की सभी वार्डों में जरूरतमंदों को खाने पीने की वस्तुओं के लाले पड़े हुए हैं, यह समझ के परे है। या तो प्रशासन जनता को गुमराह कर रहा है या तो कोरबा के जनप्रतिनिधि। रही बात बिना राशन कार्ड वाले जरूरतमंदों का तो उनका राशन कार्ड बनाने का दायित्व भी वार्ड पार्षदों एवं अधिकारियों का ही है। कुछ माह पहले ही ऐसी खबर सोशल मीडिया में सुनने देखने को मिली की राशन कार्ड बनाने के लिए नगर निगम में ₹3000 घूस के रूप में लगता है। तो कहीं जरूरतमंद वही लोग तो नहीं जो घूस के रूप में ₹3000 नहीं दे पाए और उनका राशन कार्ड अभी तक नहीं बन सका। कही इन्ही जरूरत मन्द लोगो का जिक्र सभापति महोदय के पत्र में तो नही हैं। अगर यह लोग वही हैं तो यह पार्षदों की निष्क्रियता एवं अधिकारियों की उदासीनता का परिचायक है।
इस कोरोना महामारी में भी कोई खेला खेला जा रहा है?
कहीं पार्षद निधि का पैसा जो शासन के फंड में डाला गया है वह किसी दबाव में तो नहीं दिया गया है पार्षदों के द्वारा, जिसका समुचित उपयोग हमारे जनप्रतिनिधि नहीं कर करवा पा रहे हैं प्रशासन से। 5 मई को कलेक्टर महोदया के द्वारा लिए गए वर्चुअल मीटिंग जिसमें सभी स्तर के नगर निगम, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, नगर पालिका परिषद के अधिकारी एवं जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि एवं सभी समाज के प्रमुख विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं सदस्य भी मौजूद थे जिसमें वर्तमान में चल रहे लॉक डाउन के परिपेक्ष्य में बहुत सारे सुझाव कलेक्टर महोदया को सभी अधिकारियों के समक्ष दिया गया, जिसमें नागरिक संघर्ष समिति, कोरबा के अध्यक्ष मो. न्याज नूर आरबी व राजकुमार दुबे (कोरबा प्रभारी ) के द्वारा कोरबा जिला में भिक्षुक एवं अति गरीब लोगों के खाने का प्रबंध शासन द्वारा प्रमुखता से करने की बात की गई। इस पर क्लेक्टर महोदया के द्वारा यह बताया गया कि शासन के द्वारा सभी गरीबों के लिए खाने पीने की वस्तुओं का वितरण भरपूर मात्रा में किया जा रहा है। यदि कोई कहीं छूट जाता है तो उसके बारे में प्रशासन को अवगत करा देने पर तत्काल खाने पीने की वस्तुओं का वितरण प्रशासन द्वारा किया जाएगा।
यदि सारी व्यवस्था प्रशासन द्वारा किया जा रहा है तो किसी भी पार्षद या अन्य लोगों को 50 हजार रुपये जनता के टैक्स का नगद देने की जरूरत क्या है❓
जो पार्षद लोग अपने मद का पैसा प्रशासन को उपलब्ध कराएं हैं अगर वह पैसा सही जगह जनता के हित में खर्च नहीं हो रहा हो तो उसका हिसाब पार्षदों को मांगना चाहिए एवं सभापति महोदय को तत्काल उस पर कार्रवाई का आदेश भी देना चाहिए ना कि नगद राशि पार्षदों को दिलाने का पत्र निगमायुक्त को देना चाहिए। क्योंकि कोरबा निकाय क्षेत्र की जनता को यह संशय है कि जो ₹50000 की रकम पार्षदों को देने की बात चल रही है वह कहीं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए। अगर जनता की जरूरतों को पूरा करना ही है तो जो पैसा पार्षद निधि का शासन के फंड में जमा हुआ है उसका पूरा का पूरा उपयोग गरीब और जरूरतमंद लोगों के खाने-पीने पर ही खर्च हो, इसको भी सुनिश्चित करने की मांग व उचित जरूरतमंदों को सूचीबद्ध कर सभापति एवं पार्षदों को अपने-अपने वार्डों के लिए करना चाहिए जो जनता के हित में भी रहेगा।
नहीं होने देंगे भर्ष्टाचार – निगम आयुक्त
नागरिक संघर्ष समिति कोरबा के द्वारा नगर पालिक निगम कोरबा के आयुक्त महोदय से निवेदन किया गया है कि जिस 50,000 रुपए राशि को सभी पार्षदों को देने की बात की जा रही है वह किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार की भेंट ना चढ़ने पाए। जबकि वर्तमान के पूरे लॉक डाउन में नागरिक संघर्ष समिति, कोरबा द्वारा सूखा राशन व पका हुआ भोजन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के मेडिकल से लेकर निजी सेवा प्रतिदिन जरूरत मन्दो तक पहुचाया जा रहा है, इसी प्रकार से कई सामाजिक व निजी रूप से दर्जनों सेवाकार्य करने वाले लगातार आमजन तक भोजन व अन्य खाद्य सामग्री पहुचाने का कार्य कर रहे हैं। जिस पर निगम आयुक्त श्री एस. जयवर्धन जी ने स्पष्ट रूप से चर्चा में भरोसा दिलाया है कि इस प्रकार का नया कोई तरीका व जिसमे भ्रष्टाचार होने का अंदेशा ज्यादा हो ऐसा आदेश कतई जारी नही किया जाएगा।
फिर भी किसी भी भ्रष्टाचार होने वाले आदेश/इस प्रकार की कार्यवाही अगर जिला प्रशासन/निगम द्वारा की जाती है तो नागरिक संघर्ष समिति, कोरबा न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर विवश होगा। ताकि कोरबा के जनता के हक, टैक्स, खून पसीने, मेहनत का पैसे पर किसी भी व्यक्ति/संस्था के द्वारा डाका न डाला जा सके व भविष्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा न मिल सके ।