■ तीन राज्य की तीन खबर■
सरकार का थका”विमान”! किराये के भरोसे मामा की व्यवस्था
कोरोना लहर के कहर में एक तरफ मरीजों के परिजन इलाज के लिए दर दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं तो वही दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान “मामा जी” का सरकारी विमान भी थककर बैठ गया हैं. जरूरी मेडिकल इमरजेंसी के लिए सरकार के सामने निजी कंपनियों की मनुहार करने की मजबूरी खड़ी हो गई.महंगे किराये पर मिलने वाले विमान के लिए भी सरकार को निजी कंपनियों का सहारा लेना पड़ रहा हैं. बताया जा रहा हैं कि सरकारी विमान अपने निर्धारित सफर के बाद मेंटेनेंस के लिए ग्राउंड हो गया हैं. इसके बाद कोरोना काल मे चिकित्सकीय जरुरोते के लिए अन्य प्रदेशों से किराये का विमान बुलाना पड़ रहा हैं. इसके लिए जहां सरकार से निजी कंपनीयां न सिर्फ महंगा किराया वसूल रही हैं वही उपलब्धता के आधार पर विमान भेजने की उनकी शर्त भी लगी हैं.
कोरोना काल के शुरुआती दौर में सरकारी विमान से सेंपल को दिल्ली तक ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल होता था वापसी में इसी विमान के साथ रिपोर्ट भी पहुंच रही थी.संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इंजेक्शन रेमडिसिवर ओर अन्य जरूरी दवाओं की आपूर्ति भी इसी सरकारी विमान से की जा रही थी.बताया जाता हैं कि दिल्ली, हैदराबाद समेत अन्य बड़े शहरों की तरफ इसकी दिनभर दौड़ लगती रही.
कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश की जरूरत पूरी करने के लिए गुजरात के दमन से निजी विमान किराये पर बुलवाया गया. 3 से 5 लाख रुपए घन्टा किराये पर मिलने वाले इन निजी विमान के लिए भी “पहले आओ,पहले पाओ” की कतार लगी हुई हैं. करीब 15 दिन से बनी इस मजबूरी की हालत में जयपुर से भी निजी विमान बुलाया जा रहा हैं.हालांकि विमानन विभाग के चीफ इंजीनियर व क्वालिटी कंट्रोलर का कहना हैं कि हर 100 घण्टे की उड़ान के बाद विमान का मेंटेनेंस करना होता हैं. इसी के चलते सरकारी विमान को ग्राउंड किया गया हैं
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साइबर ठगों ने मदिरा प्रेमिका का नशा चूर चूर कर दिया..महंगी पड़ी ऑनलाइन सर्विस
कोरोना काल मे शराब प्रेमी अब साइबर ठगों के शिकार हो रहे.महाराष्ट्र में संचारबन्दी
लागू की गई हैं इस कारण शराब की दुकानें बंद हैं. हालांकि सरकार ने ऑनलाइन शराब बेचने की अनुमति दी हैं और इसी का भरपूर फायदा साइबर ठग उठा रहे है
साइबर घोखाधड़ी के बारे में अधिक जागरूकता न होने के कारण महाराष्ट्र में शराब पीने वालों को इन साइबर ठगों द्वारा घोखा दिया जा रहा हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं. साइबर ठगों ने लोअर परेल एक वकील से 150000 रु ,अंधेरी में सीए से 15,600 रु जबकि जोगेश्वरी सेवानिवृत्त अधिकारी से 68,000 रुपयों की ठगी की.
जानकारी के मुताबिक लोअर परेल में रहने वाले व हाई कोर्ट वकील ने गूगल में जाकर लिविंग लिक्विड शॉप का मोबाइल नम्बर हासिल किया.जब उन्होंने उस नम्बर पर संपर्क किया तो सामने वाले व्यक्ति ने कहा मै वाइन शॉप का मैनेजर सचिन पाल बोल रहा हूं. वकील ने 1370 रु का एक स्कॉच आर्डर किया.पाल ने एक लिंक भेजकर वकील को गूगल पे के माध्यम से राशि का भुगतान करने को कहा. वकील ने अपने मोबाइल के माध्यम से 1370 रु. भेज दिये. इसके बाद सचिन ने वकील से कहा कि वह पावती बनाना चाहता हैं इसलिए उसने जो क्यूआर कोड भेजा हैं वह स्कैन करे।सचिन द्वारा भेजे गए क्यूआर का जैसे ही स्कैन किया गया वकील साहब के मोबाइल पर एक मैसेज आया कि बैंक खाते से 19,000 रुपये निकल गए है. जब वकील ने पैसों के संबंध में पूछा तो पाल ने कहा पैसा फिर से वापस भेज दिया जाएगा. पैसे वापस पाने के लिए पाल ने वकील के डेबिड कार्ड की जानकारी और ओटीपी नम्बर लिया और फिर घीरे घीरे वकील के बैंक खाते से लगभग डेढ़ लाख रुपये निकाल लिए.वकील को जब ठगी का एहसास हुआ तब उन्होंने पुलिस थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई हैं। इसी तरह अंधेरी में एक सीए को गूगल पर खोजने पर पीके बियर एंड वाइन शॉप का नम्बर मिला.सीए ने बीयर की चार बोतल का आर्डर कर दिया जिसकी कीमत 640 रुपये थी.सीए ने भुगतान करने के लिए वाइन शॉप कर्मचारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा चार बार भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन किया औऱ उसके बैक खाते से 15,600 रुपये निकाल लिए गये. एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने भी ऑनलाइन बीयर मंगवानी चाही लेकिन उसके खाते से 68,000 रुपये निकल गए
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मुझे चाहिए ऑक्सीजन मशीन
देश मे बढ़ते कोरोना संक्रमण ने हर किसी को अलर्ट कर दिया हैं. अगर मैं बीमार पड़ा तो ऑक्सीजन मिल पाएगा या नहीं.अमीर और प्रभावशाली लोगों की इस सोच के कारण दिल्ली बाजार से ऑक्सीजन मशीन गायब हो रही हैं. क्योंकि पैसे वाले लोग इन मशीनों को धडल्ले से खरीदने लग गये हैं. इस मशीन का नाम ऑक्सीजन कंसट्रेटर हैं. यह पोर्टेबल होती हैं और हवा से ऑक्सीजन निकाल कर मरीज के लिए तैयार करती हैं. यहां यह बता दे कि कुछ लोगो द्वारा मशीन की कई युनिट्स की खरीदी की जा रही हैं.मशीन खरीदने वालों में नेता,बड़े अधिकारी, उधोगपति,उच्च पुलिस अधिकारी और ऐसे ही दूसरे प्रभावशाली लोग प्रति व्यक्ति के लिए 5 या 6 ऑक्सीजन कंसट्रेटर खरीद रहे है. इस वजह से बाजार में यह मशीन गायब हो गई हैं. जिसके चलते जरूरतमंदो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं.
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