चैत्र नवरात्रि 2021:पूरे 90 साल बाद बन रहा यह शुभ संयोग

■ मां दुर्गा का उपासना पर्व नवरात्रि 13 अप्रेल से शुरु

नई दिल्ली 12 अप्रैल। चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। मां दुर्गा की उपासना के लिए नवरात्रि के दिनों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की उपासना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। चैत्र नवरात्रि की नवमी 21 अप्रैल को है, जबकि व्रत पारण 22 अप्रैल 2021 को किया जाएगा। नवरात्रि के पहला दिन बेहद खास होता है। इस दिन माता रानी की पूजा के लिए कलश स्थापना की जाती है। इस साल सालों बाद शुभ संयोग बनने से चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का महत्व और बढ़ रहा है।

नवरात्रि पर 90 साल बाद बन रहा है शुभ योग-

13 अप्रैल दिन मंगलवार को शुरु हो रहे नवसंवत्सर के दिन सुबह दो बजकर 32 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य का मेष राशि में गोचर होगा। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह स्थिति करीब 90 साल बाद बन रही है। इसके अलावा देश में ऋतु परिवर्तन के साथ ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त-
दिन- मंगलवार
तिथि- 13 अप्रैल 2021
शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 15 मिनट
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।
घटस्थापना के दिन शुभ मुहूर्त-
अमृतसिद्धि योग – 13 अप्रैल की सुबह 06 बजकर 11 मिनट से दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग – 13 अप्रैल की सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 13 अप्रैल की दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।
अमृत काल – सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 03 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 35 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक।

नवरात्रि पर क्यों की जाती है कलश स्थापना?

नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना को लेकर पुराणों में वर्णित है कि कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसलिए माता रानी की पूजा करने से पहले कलश स्थापना की जाती है और घट पूजन करते हैं। पूजा स्थान पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है और देवी -देवताओं का आवाह्न किया जाता है।

कलश उतर पूर्व दिशा में स्थापित करें

नवरात्रि के दौरान चारों तरफ भक्तिभय माहौल रहता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान कलश को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। जानिए घटस्थापना से जुड़ी ये बातें-
1/घटस्थापना के पहले ही घर के मंदिर या पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर लेनी चाहिए। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता रानी का घर में आगमन होता है। ऐसे में मां के आगमन से पूर्व से ही साफ-सफाई कर लेनी चाहिए।
2/घटस्थापना करने से पहले घर के मेनगेट के सामने हल्दी या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए। मान्यता है कि हल्दी से बना स्वास्तिक गुरु ग्रह को और रोली से बना स्वास्तिक शुक्र ग्रह को शुद्ध करता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
3/घटस्थापना से पहले मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को चंदन या चांदी की चौकी पर स्थापित करना चाहिए। इस चौकी पर लाल कपड़ा अवश्य बिछाना चाहिए। कहते हैं कि लाल रंग सौभाग्य का प्रतीक होता है।
4/नवरात्रि का कलश हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। कलश को सुपारी, सिक्का और जल डालकर भरना चाहिए। आप सोने, चांदी या पीतल के कलश के अलावा मिट्टी के कलश का भी प्रयोग कर सकते हैं।
5/कलश पर अशोक के पत्ते जरूर रखने चाहिए। यह पत्ते शुभ गिनती जैसे 5,7,9,11 आदि में रखने चाहिए। अशोक को दुख (शोक) को हरने वाला पौधा माना जाता है। कहा जाता है नवरात्रि में अशोक के पत्तों का इस्तेमाल करने से विपत्तियों का अंत होता है।
6/नवरात्रि के दौरान पूजा स्थल पर अखंड दीपक जलाना चाहिए। अगर आप अखंड दीपक जलाने में असमर्थ हैं तो सुबह और शाम माता रानी के सामने दीपक अवश्य जलाएं।

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