जवान को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने कोई शर्त रखी या नहीं, यह साफ नहीं..

रायपुर 8 अप्रैल: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले के बाद अगवा किए गए कोबरा कमाण्डो राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने छोड़ दिया है।किन्तु यह अभी साफ नहीं हुआ है कि जवान को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने शर्त रखी हैं या नहीं. इस बीच उनकी पत्नी मीनू ने सरकार का आभार व्यक्त किया है। मीनू ने कहा, “आज का दिन मेरे जीवन का सबसे खुशनुमा दिन है। मुझे आशा थी कि वह वापस आएँगे। मैं इसके लिए सरकार का आभार व्यक्त करती हूँ।”

बता दें कि बीजापुर हमले के बाद दो स्थानीय पत्रकारों को एक गुमनाम कॉल आई थी। कॉल में कहा गया था कि सीआरपीएफ जवान उनके कब्जे में है, जिसे वह कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। शुरू में इन दावों का बीजापुर के पुलिस अधीक्षक ने खंडन किया। लेकिन, बाद में नक्सलियों ने राकेश्वर की फोटो जारी करके साबित कर दिया कि कोबरा जवान उन्हीं की गिरफ्त में है। नक्सलियों ने फोटो जारी करने के साथ माँग की, कि सरकार बातचीत के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति करे, जिसके बाद राकेश्वर को छोड़ दिया जाएगा। इस पर राकेश्वर के भाई ने कहा कि उन्हें इस फोटो पर भरोसा नहीं है। नक्सली राकेश्वर का वीडियो अथवा ऑडियो जारी करें।

जवान की रिहाई से ठीक पहले बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया था कि मामले में सकारात्मक पहल हुई है। उम्मीद है कि जल्द की जवान को रिहा करवा लिया जाएगा, सुंदरराज ने कहा कि सुरक्षा कारणों से इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं दी जा सकती है।

इससे पहले जवान की वापसी के लिए बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी गई थीं लेकिन उन्हें नक्सलियों ने लौटा दिया था. बीते बुधवार को सोनी सोरी कुछ स्थानीय पत्रकारों के साथ जंगल गईं थीं. नक्सली लीडर से उनकी मुलाकात भी हुई थी लेकिन उन्होंने बंधक जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करने से उस समय मना कर दिया था.
इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 23 जवान शहीद हुए थे। जबकि कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर का नक्सलियों ने अपहरण कर अपने साथ ले घे थे. वहीं घटना के बाद से कोबरा जवान राकेश्वर लापता थे जम्मू स्थित राकेश्वर का परिवार लगातार उनकी रिहाई के लिए पीएम मोदी से गुहार लगा रहा था।
नक्सलियों की मांग के बाद सरकार ने मध्यस्थों के नाम जारी किए या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। क्योंकि, मध्यस्थों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे। इस वजह से यह भी साफ नहीं है कि नक्सलियों की किन मांगों को पूरा करके सरकार ने राकेश्वर सिंह को मुक्त कराया है।

नक्सलियों से बात करने के लिए कुछ सोशल वर्कर्स को भेजा गया था। इनमें पद्मश्री धरमपाल सैनी, गोंडवाना समन्वय समिति के अध्यक्ष तेलम बोरैया के साथ कुछ और लोग शामिल थे। ऐसी चर्चा है कि इनसे बातचीत के बाद ही जवान को छोड़ा गया है। अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह भी साफ नहीं हुआ है कि जवान को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने कोई शर्त रखी है या नहीं।

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