पूरे देश की निगाहें नन्दीग्राम महासंग्राम पर टिकी, ममता और शुभेंदु के मध्य हो रही जबरदस्त टक्कर
नन्दीग्राम 23 मार्च: नंदीग्राम चुनावी महासंग्राम जीत किसकी होगी इसके जवाब की तलाश आम लोगो के साथ साथ देश की मीडिया को भी हैं. चुनावी रण में ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच सीधी टक्कर हैं. तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अभी से अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत के दावे कर रही हैं. तृणमूल ममता बनर्जी के एक लाख से भी अधिक मतों से जीत के दावे कर रही है, तो भाजपा कह रही है कि 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से शुभेंदु नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करेंगे.
तृणमूल का दावा है कि मुस्लिम मतदाताओं का एक भी वोट शुभेंदु को नहीं मिलेगा. भाजपा नेता भी मानते हैं कि मुस्लिम वोटर ममता के साथ जायेंगे. लेकिन, भाजपा यह भी नहीं मानती कि नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र के करीब 62 हजार मतदाता एकमुश्त ममता बनर्जी के ही पक्ष में मतदान करेंगे. पार्टी को विश्वास है कि मुस्लिम वोटर्स का भी एक वर्ग शुभेंदु के पक्ष में वोट करेगा.
दलों के दावे जो भी हों, वोटों के आंकड़ों पर भी गौर करना जरूरी है. नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में कुल ढाई लाख से अधिक (2,57,337) मतदाता हैं. नंदीग्राम-1 में 1.60 लाख मतदाता हैं. इनमें 35 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. नंदीग्राम-2 में 98 हजार वोटर हैं, जिसमें 18 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर हैं. नंदीग्राम में आदिवासी वोटरों की संख्या 26 है. ये नंदीग्राम-1 के भेकुटिया में हैं. नंदीग्राम के 17 अंचलों में कुल 278 बूथ हैं. इनमें चार अंचल ऐसे हैं, जहां मुस्लिम मतदाता प्रभावशाली हैं. मोहम्मदपुर में कुल 14,832 मतदाता हैं, जिनमें 8,303 (56 फीसदी) मुस्लिम हैं. कांदियामाड़ी में कुल 18,186 मतदाता हैं, जिनमें 10,909 मुस्लिम (60 फीसदी) वोटर हैं. एक और अंचल दाऊदपुर की बात करें, तो यहां कुल 14,100 मतदाता हैं. यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 7,424 (52.6 फीसदी) है. यहां भी मुस्लिम वोटर हिंदू वोटरों से ज्यादा हैं. शमशाबाद में 15,110 वोटर हैं, जिनमें 8,526 मुस्लिम (56 फीसदी) हैं. कालीचरणपुर में भी मुस्लिम वोटर कुछ हद तक मतदान को प्रभावित कर सकते हैं.
शुभेंदु का हारना तय
तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहाउद्दीन कहते हैं कि ममता बनर्जी उसी दिन जीत गयीं थीं, जिस दिन उन्होंने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान किया था. वह एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीतेंगी. शुभेंदु ने पहले ही हार स्वीकार कर ली है. उन्होंने बॉयल में एक जनसभा में कहा कि ममता बनर्जी उनका राजनीतिक करियर खत्म करने के लिए नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं. शहाउद्दीन कहते हैं कि ममता बनर्जी बंगाल में बेहद लोकप्रिय हैं. उन्होंने पूर्वी मेदिनीपुर में काफी काम किया है.उन्हें नंदीग्राम की जनता का भरपूर प्यार प्राप्त है और दीदी को धोखा देने वालों को जनता माफ नहीं करेगी.
ममता बनर्जी का जीतना मुश्किल
वहीं, भाजपा के नेता पवित्र कर कहते हैं कि ममता बनर्जी ने जिस तरह से एक खास वर्ग के लोगों के हाथों में नंदीग्राम की बागडोर सौंप दी है, जिसके कारण क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश हैं उनकी कार्यप्रणाली लोगों को अच्छी नहीं लगी. यह वजह हैं कि ममता बनर्जी का नंदीग्राम से जीतना किसी भी हाल में संभव नहीं है. नंदीग्राम की जनता अपने भूमिपुत्र को ही अपना विधायक चुनेगी. उस शख्स को नंदीग्राम में जीत मिलेगी, जो हमेशा अपने लोगों के बीच रहेगा. ममता बनर्जी भले बड़ी नेता हैं. उन्होंने नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन किया. उन्होंने 10 साल तक शासन किया,इसके बावजूद भी नंदीग्राम उन्हें यहां का विधायक चुनेगा, क्योंकि वो कोलकाता में रहेंगी. नंदीग्राम में जिसे वह अपना प्रतिनिधि बनायेंगी, उसके पास हर कोई पहुंच नहीं पायेगा. लोग उसके पास जाना पसंद नहीं करेंगे.
नंदीग्राम में एक अप्रैल को वोटिंग
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि बंगाल में आठ चरणों मे 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच वोटिंग होगी.पूर्वी मेदिनीपुर में दो चरणों में वोट कराये जा रहे हैं. नंदीग्राम में एक अप्रैल को वोटिंग होगी. राज्य की सभी 294 सीटों के लिए मतगणना आगामी दो मई को होगी.