क्राइम ब्रांच के सी आई यू में सचिन वाझे की नियुक्ति पर पहले से था विवाद

मुम्बई 22 मार्च: एंटीलिया केस में गिरफ्तार एपीआई सचिन वाझे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) का प्रभारी बनाए जाने के बाद से ही मुंबई क्राइम ब्रांच में घमासान मचा हुआ था। सचिन वाझे को सीआईयू का प्रभारी बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से दो अधिकारियों को वहां से हटाया गया था।
सीआईयू के इतिहास में पहली बार एपीआई दर्जे के अधिकारी की तैनाती दिए जाने से ही क्राइम ब्रांच के अधिकांश अधिकारी खफा थे। उनके द्वारा अपनी भावनाओं से अवगत कराने के बाद भी वाझे को बरकरार रखा गया था।
ख्वाजा यूनुस प्रकरण में निलंबित वाझे को पुलिस सेवा में बहाली देने के बाद 9 जून 2020 को क्राइम ब्रांच की सीआईयू में तैनाती देकर प्रभारी बनाया गया। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाझे की तैनाती के पहले सीनियर पीआई दर्जे के दो अधिकारी सीआईयू में तैनात थे।
वाझे को ‘फ्री हैंड’ देने के लिए पहले दोनों पीआई का तबादला किया गया। निलंबित अधिकारी-कर्मी को बहाली दिए जाने पर सबसे पहले कंट्रोल रुम, एसबी जैसे साइड ब्रांच में तैनात किया जाता है।
सीआईयू, क्राइम ब्रांच की सबसे अहम इकाई होती है। सीक्रेट ऑपरेशन अथवा बेहद महत्वपूर्ण दायित्व ही उसे सौंपा जाता है। उसकी मदद से ही मुंबई क्राइम ब्रांच ने कई उपलब्धियां हासिल की थी।
ऐसे में वाझे जैसे विवादित और निलंबित अधिकारी को वहां तैनाती दिए जाने पर पहले ही दिन से क्राइम ब्रांच में असंतोष फैल गया था। कुछ अधिकारियों ने हिम्मत जुटाकर आला अधिकारियों के पास अपना विरोध भी जताया था लेकिन उन्हें अपना मुंह बंद रखकर काम करने की हिदायत मिलने से वे शांत हो गए।

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