जमीन और मकान का अधिकार पाने भटक रहे बुजुर्ग दंपत्ति
न्याय नहीं मिलने पर बेबस जीवन जीने मजबूर
कोरबा 8 मार्च। गांव के कुछ लोगों ने मेरे व मेरे परिवार के साथ मारपीट कर जमीन व मकान से बेदखल कर दिया। न्याय पाने के लिए निदान-36 शिविर में भी अर्जी लगाई। न्याय नहीं मिलने से अब परिवार के साथ बेबस जीवन जीने पर मजबूर हूं।
यह कहना है 65 वर्षीय वृद्ध किसान विश्वनाथ सिंह गोंड़ का, जिसके 40 वर्षों से काबिज जमीन व मकान से उसे बेदखल कर दिया गया है। उसने बताया किया अब वह परिवार सहित परिचित के घर पर आश्रय लेकर रहने पर मजबूर है। पाली विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत डोंड़की के आश्रित ग्राम भेलवाटिकरा में वृद्ध किसान विश्वनाथ सिंह गोंड़ 65 वर्ष वनभूमि पर विगत लगभग 40 वर्षों से काबिज रहते हुए मकान बनाकर अपनी पत्नी सीताबाई तथा 35 वर्षीय परित्यक्तता पुत्री व एक नातीए नातिन के साथ निवासरत था। विश्वनाथ और उसका परिवार काबिज जमीन पर खेती-बाड़ी के सहारे पेट पालते आ रहा था। उसे वर्ष 2010 में उसके कब्जे की वनभूमि कंपार्टमेंट 149-1 का वन अधिकार पत्र के रूप में शासन की ओर से 101 हेक्टेयर का पट्टा भी मिला था। विश्वनाथ ने बताया कि वर्ष 2018 में गांव के ही परमेश्वर सिंह, बजरंग, गेवटा, बीरसिंह, व सगुना निवासी राकेश सिंह की नजर गरीब के जमीन पर टिक गई और उन दबंगों द्वारा मिलकर अपनी दबंगई दिखाते हुए किसान व उसके परिवार के साथ मारपीट करते हुए गांव से बाहर निकाल दिया तथा पीड़ित के मकान एवं खेती-बाड़ी पर कब्जा कर लिया गया।
पीड़ित परिवार ने इस घटना की शिकायत कटघोरा थाने में जाकर की जहां पुलिस ने धारा 155 की कार्रवाई कर न्यायालय जाने की सलाह दे दी। जिसके बाद लिखित आवेदन देकर कलेक्टर से अपनी गुहार लगाई परंतु यहां से भी निराशा हाथ लगी। विश्वनाथ ने बताया कि व अपनी पत्नि के साथ दूसरों के घरों पर झाडू-पोंछा करता है। उसके साथ रह रही परित्यक्ता पुत्री बर्तन साफ करके अपना व बच्चों का पेट पाल रही है। न्याय की आस में परिवार ने बीते 13 फ रवरी 2021 को चैतमा में आयोजित निदान 36 शिविर में उपस्थित अधिकारियों को भी आवेदन देकर अपनी गुहार लगाई है, लेकिन यहां भी परिवार को उम्मीद की कोई किरण नजर नही आ रही है।