छत्तीसगढ में सभी तरह के प्रमोशन व डिमोशन पर लगी रोक
रायपुर 3 मार्च : सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश से छत्तीसगढ़ में सरकारी कंपनियों का आरक्षण प्रभावित हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने पदोन्नति मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। इसका मतलब यह है कि सर्वोच्च अदालत के अगले आदेश तक न किसी को पदोन्नति दी जा सकती है और न किसी को पदावनत किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी के कर्मचारी निरंजन कुमार ने पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के सामने स्पेशल लीव पिटीशन लगा कर बिलासपुर उच्च न्यायालय के फरवरी 2019 में दिए फैसले को चुनौती दी। उस फैसले में उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पदोन्नति नियम की धारा पांच को निरस्त कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के सामने यह मामला रखते हुए याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा था, इसकी वजह से उनकी पदोन्नति को रिवर्ट होने का खतरा पैदा हो गया है। इस केस में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, पुलिस महानिदेशक सहित कई विभागों के प्रमुखों को पक्षकार बनाया गया है। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश 12 फरवरी का है, लेकिन अब सामने आया है।
संविधानिक मामलों के विशेषज्ञ बीके मनीष ने बताया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों की बेंच ने पदोन्नति में आरक्षण मामले पर स्टेटस का (यथा-स्थिति) आदेश दिया है। इसका मतलब है कि अब छत्तीसगढ में सभी तरह के प्रमोशन और डिमोशन पर अगली सुनवाई तक रोक लग गई है।