अधिक से अधिक ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की तैयारी.. कलेक्टर कौशल ने बैठक में दिए निर्देश
मक्का, वनोपज, काजू, बांस, लाख, चार-चिरौंजी की प्रोसेसिंग युनिट लगाने की योजना
कोरबा 28 दिसम्बर 2020. कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत शिक्षित बेरोजगार युवाओं, महिला समूहों की सदस्यों, वनवासियों और किसानों को बड़ी तादात में रोजगार से जोड़ने की जिला प्रशासन की तैयारी शुरू हो गई है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने आज इस संबंध में एक आवश्यक बैठक कलेक्टोरेट सभा कक्ष में आहूत की। बैठक में वीडियो काॅन्फे्रंसिंग के माध्यम से ब्लाॅक स्तर के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में जिले में चिन्हांकित लगभग 27 आर्दश गौठानों में मुर्गी पालन, बटेर पालन, बकरी पालन, रेशम धागाकरण, मछली पालन आदि रोजगार मूलक गतिविधियां शुरू करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए। उन्होंने इसके लिए की जाने वाली तैयारियां एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। बैठक में जिले में मिलने वाली लघु वनोपजों, औषधीय जड़ी बूटियों के साथ-साथ मक्का, काजू, बांस, लाख, चार-चिरौंजी जैसे प्रसंस्करण युनिट लगाने पर भी चर्चा हुई। कलेक्टर ने इन प्रोसेसिंग युनिटों को शुरू करने के लिए बहुतायत में पाये जाने वाले क्षेत्रों की पहचान कर अनुमानित उत्पादन के लिए सघन सर्वे करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने पिछले वर्षों में उत्पादन, प्रसंस्करण और विक्रय के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी ली। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुंदन कुमार सहित कटघोरा वनमण्डल की डीएफओ शमा फारूखी, कोरबा वनमण्डल के डीएफओ एस. गुरूनाथन और अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।
बैठक में कलेक्टर ने फल पौधरोपण, औषधीय पौधरोपण के साथ-साथ उनके उत्पादन और प्रसंस्करण के बारे में भी वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने बहुतायत में मिलने वाली औषधि जड़ी बूटियों तथा आम, जामुन जैसे फलों के प्रसंस्करण के लिए भी युनिट लगाने की संभावनाओं पर चर्चा कर अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। श्रीमती कौशल ने काजू प्रसंस्करण युनिट लगाने के लिए भी अधिकारियों को योजना बनाने को कहा। उन्होने कोरबा और कटघोरा वनमण्डलों में पहले से स्थापित बांस प्रसंस्करण युनिटों के आधुनिकीकरण और जीर्णाेद्धार के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने बैठक में कहा कि जिले में उपलब्ध संसाधनों, जड़ी बूटियों, वन औषधीयों और कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनके उत्पाद बनाकर खुले तथा थोक बाजार में बेचने की व्यवस्था से ग्रामीणों को अधिक से अधिक फायदा हो सकता है। डाबर, पतंजलि जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर जिले के उत्पाद पशु आहार निर्माताओं को भी बेचे जा सकते हैं। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को आय का एक साधन मिलेगा और जिले की अलग पहचान भी बनेगी। कलेक्टर ने गौठानों को मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए भी विस्तृत कार्ययोजना गौठानवार तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने गौठानों में तिखुर और जिमी कांदा की भी खेती कराने के निर्देश उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को दिए। श्रीमती कौशल ने वन अधिकार पट्टे के माध्यम से मिली जमीनों पर भी वनवासियों के लिए रोजगार मूलक खेती और पौधरोपण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।