मुख्यमंत्री और वनमंत्री की छवि धूमिल कर रहे वन विभाग के अफसर, बेरोजगार इंजीनियर बन रहे नौकरशाही का शिकार

कोरबा 28 दिसम्बर। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेरोजगार इंजीनियरों के लिए घोषित महत्वाकांक्षी योजना नौकरशाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। वन मण्डल कोरबा में तकनीकी त्रुटि बताकर निविदा निरस्त करने, निविदा तिथि आगे बढ़ाने का खेल चल रहा है। आशंका है कि वन मण्डलाधिकारी और उनके मातहत अपने जेबी ठेकेदारों को सेटिंग में टेण्डर देने के लिए
साजिश रच रहे हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार वन मण्डल कोरबा में करीब 08 करोड़ रूपयों के विभिन्न कार्यों की निविदा आमंत्रित की गयी थी। सबसे पहले 04 दिसम्बर को टेण्डर बुलाये गये। इसके बाद नयी तिथि 15 दिसम्बर तय कर दी गयी। फिर एक
बार पुनः 28 दिसम्बर की तिथि निर्धारित कर दी गयी। 28 दिसम्बर की टेण्डर का फार्म लेने के लिए लोग वन मण्डल कार्यालय पहुंचे तो बताया गया कि निविदा तकनीकी कारणों से निरस्त कर दी गयी है।

बिलासपुर से निविदा प्रपत्र लेने शनिवार 26 दिसम्बर को वन मण्डल कोरबा पहुंचे बेरोजगार इंजीनियर अर्पित तिवारी और रंजीत साहू ने बताया कि वन विभाग ने निविदा निरस्त होने की सूचना बेरोजगार इंजीनियरों को नहीं दी थी। समाचार पत्रों में भी ऐसी कोई सूचना पढ़ने में नहीं आई है। वन मण्डल पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि डी.एफ.ओ. के कार्यालय आने पर प्रपत्र दिया जायेगा। कार्यालय समय से करीब तीन घंटा विलम्ब से डी.एफ.ओ.के कार्यालय पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि संबंधित कार्यों का स्टीमेट बनाने में तकनीकी गलती हो गयी है, जिसके कारण निविदाएं निरस्त कर दी गयी है।

याद रहे कि वन विभाग के प्रत्येक वन मण्डल में तकनीकी अधिकारी पदस्थ हैं। इसके बाद सी.सी.एफ.और पी.सी.सी. एफ. के कार्यालय में तकनीकी अधिकारी पदस्थ हैं। इन सबके रहते हुए निविदाओं में तकनीकी त्रुटि कैसे हो गयी और संबंधित डी.एफ.ओ. सहित उच्चधिकारियों ने कैसे इन्हें स्वीकृत कर दिया? यह बड़ा सवाल है। सूत्रों के अनुसार वन मण्डल कोरबा में डी. एफ. ओ. गुरूनाथन एन. के पदस्थ होने के बाद बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अवैध जंगल कटाई हो रहे हैं। लेकिन विभाग के उच्चाधिकारी आंख मूंदे बैठे है, जिसके कारण भ्रष्ट अफसरों के हौसले बुलंद हो रहे है। वन विभाग के कारनामों के कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वनमंत्री मो. अकबर की छवि भी धूमिल हो रही है।

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