इसरो ने अगली पीढ़ी के प्रक्षेपणयान एनजीएलवी के विकास का काम शुरू किया

बेंगलूरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अगली पीढ़ी के प्रक्षेपणयान एनजीएलवी के विकास के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकियों के विकास का काम शुरू कर दिया है। तीन चरणों वाले इस रॉकेट के पहले दो चरणों में प्रयोग होने वाले इंजन एलएमई-1100 के विकास में अहम प्रगति हुई है।

इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के अनुसार एलएमई-1100 की प्रारंभिक डिजाइन तैयार हो चुकी है और इंजीनियरिंग का काम शुरू हो चुका है। इस इंजन का हॉट टेस्ट महेंद्रगिरि स्थित इसरो केंद्र में होने उम्मीद है। यह 1146 किलो न्यूटन का बल पैदा करेगा और वजन लगभग 1100 किलोग्राम होगा। इसका विकास प्रक्षेपण लागत में कमी लाने के साथ ही अत्यधिक भार वाले उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

एलवीएम-3 से तीन गुणा अधिक क्षमता वाला रॉकेट

इसरो अधिकारियों के मुताबिक एनजीएलवी निकट अंतरिक्ष (एलईओ) में 30 टन वजनी उपग्रहों या पे-लोड को पहुंचा सकता है। भू-स्थैतिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में यह उपग्रह लगभग 10 टन वजनी उपग्रहों को पहुंचाने में सक्षम होगा। इसरो के अत्याधुनिक प्रक्षेपणयान एल वी एम-3 रॉकेट की तुलना में इसकी क्षमता तीन गुणा अधिक होगी। एनजीएलवी का उपयोग मानव मिशन के साथ ही वाणिज्यिक मिशनों में होगा। यह स्पेस एक्स के फाल्कन 9 की तरह री-यूजेबल रॉकेट होगा। सरकार ने इस रॉकेट के लिए पिछले साल 8240 करोड़ रुपए मंजूर किए और रॉकेट को 8 साल में ऑपरेशनल करने का लक्ष्य रखा है।

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