कही-सुनी (19 JAN-25) : रवि भोई

छत्तीसगढ़ में अब बजेगी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की डुगडुगी

खबर है कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने अब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने का फैसला कर लिया है। चर्चा है कि 20 जनवरी को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी और चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। चुनाव की घोषणा के पहले 19 जनवरी को रविवार की छुट्टी के दिन साय कैबिनेट की बैठक होगी। माना जा रहा है कि सरकार कैबिनेट में कुछ लोक लुभावन घोषणाओं के साथ अन्य घोषणाएं कर सकती है। राज्य में पहली बार नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ होंगे। उम्मीद है कि स्कूल-कालेज की परीक्षाओं को देखते हुए नगरीय निकाय और पंचायतों का चुनाव लंबा नहीं खिंचेगा। कायदे से नगरीय निकायों के चुनाव दिसंबर-जनवरी में निपट जाने चाहिए थे। महापौर और पालिका अध्यक्षों के कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार को वहां प्रशासक बैठाना पड़ा। बताते हैं कि पहले सरकार नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव को लेकर असमंजस में थी। समय पर चुनाव न कराने को लेकर गलत संदेश जा रहा था। इस कारण सरकार ने अंततः कदम बढ़ा लिया। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने साय सरकार पर समय पर चुनाव न कराने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी।

पूर्व मुख्य सचिव के बुरे दिन

छत्तीसगढ़ के एक पूर्व मुख्य सचिव के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। बताते हैं पिछले दिनों पूर्व मुख्य सचिव का सड़क हादसे में हाथ फ्रैक्चर हो गया और उन्हें एक अस्पताल में कुछ दिनों तक भर्ती भी रहना पड़ा। कहते हैं पूर्व मुख्य सचिव स्वयं गाड़ी चला रहे थे। कभी भाजपा राज में पूर्व मुख्य सचिव का जलवा था। भाजपा राज में ही इनको कई सारे महत्वपूर्ण पद मिले। चर्चा है कि कभी भाजपा के चहेते रहे पूर्व मुख्य सचिव इन दिनों भाजपा नेताओं की आंख की किरकिरी बन गए हैं। खबर है कि दिग्गज भाजपा नेताओं की नाराजगी पूर्व मुख्य सचिव को भारी पड़ने वाली है। पिछली सरकार के कुछ घोटालों में पूर्व मुख्य सचिव का नाम सुर्ख़ियों में है। इसे ही कहते हैं ख़राब समय। जब समय ख़राब चलता है तो दुखों का पहाड़ टूटता है।कुछ-कुछ पूर्व मुख्य सचिव साहब के साथ भी होता नजर आ रहा है।अब देखते हैं आगे क्या-क्या होता है ?

रायपुर के दो भाजपा नेताओं में मल्ल युद्ध

कहते हैं महापौर प्रत्याशी के लिए रायपुर के दो भाजपा नेताओं में मल्ल युद्ध चल रहा है। दोनों अपनी पसंद की प्रत्याशी के लिए ताल ठोंक रहे हैं। रायपुर महापौर का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है। इस कारण सामान्य वर्ग की कई महिला नेता भाजपा की तरफ से महापौर प्रत्याशी के लिए दावेदारी करनी शुरू कर दी हैं। अंतिम निर्णय भाजपा संगठन को करना है, लेकिन चर्चा है कि रायपुर के दो दिग्गज भाजपा नेता अपनी पसंद का उम्मीदवार चाहते हैं। बताते हैं एक नेता पार्षद सरिता दुबे की पैरवी में लग गए हैं तो दूसरे मीनल चौबे के लिए। मीनल चौबे रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रही हैं। अब देखते हैं दोनों नेता में कौन महापौर प्रत्याशी के चयन में भारी पड़ता है ? वैसे दोनों नेताओं की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पुरानी है।

भाजपा के इनर सर्कल में नई इंट्री

कहते हैं भाजपा के इनर सर्कल में राजनांदगांव के एक नेता की इंट्री से भाजपा के पदाधिकारियों में पेट में दर्द शुरू हो गया। चर्चा है कि इस नेता को पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े को भोजन परोसते देख अब तक नेताओं के आगे -पीछे रहने वाले अचंभित हो गए और कानाफूसी करने लगे। बताते हैं राजनांदगांव के नेता रेत के कारोबार से जुड़े हैं, इस कारण भी विनोद तावड़े के करीब जाना भाजपा के कुछ पदाधिकारियों को चुभ गया। बताते हैं अब तक भाजपा के दो नेता ज्यादातर राष्ट्रीय नेताओं के आगे -पीछे नजर आते थे, एक तो 80 किलोमीटर दूर यात्रा कर रोजाना रायपुर आते हैं, दूसरे पार्टी में जमीनी पकड़ न होते हुए भी राष्ट्रीय अध्यक्ष तक अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। वैसे राष्ट्रीय नेताओं के स्वागत-सत्कार के लिए तोहफे के तौर पर इस नेता को प्रदेश संगठन ने पंचायत चुनाव के लिए बनी प्रांतीय टीम में सदस्य बनाया है।

क्या अब ईडी भूपेश बघेल को घेरेगी ?

पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद चर्चा होने लगी है कि ईडी की नजर अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर है। भूपेश सरकार में कवासी लखमा आबकारी मंत्री थे। कहा जा रहा है कि अब ईडी की अगली कार्रवाई कवासी लखमा के बयान पर निर्भर करेगा। बताते हैं ईडी को कवासी लखमा के खिलाफ कई सबूत मिल गए हैं। कवासी की गिरफ्तारी से सरकार में उनके आसपास रहने वाले अफसर और सहायकों पर भी ईडी की नजर है। अनपढ़ होकर पांच साल तक मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वाले कवासी अफसरों पर दोष मढ़कर भी बच नहीं पाए। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले कवासी की गिरफ्तारी से कांग्रेस को जबर्दस्त झटका लगा है। खासतौर से बस्तर इलाके में अब कांग्रेस के पास जमीन से जुड़े नेता की कमी हो गई है। खबर है कि स्थानीय चुनाव के पहले ईडी और एक्शन ले सकती है। इस कारण सभी की निगाह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ है।

किरण देव से दूर मंत्री की कुर्सी

जगदलपुर के विधायक किरण देव फिर छत्तीसगढ़ के भाजपा अध्यक्ष बन गए हैं। किरण देव पहले मनोनीत अध्यक्ष थे। अब चुने हुए अध्यक्ष बन गए हैं। बताते हैं वे तीन साल के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष होंगे। खबर है कि किरण देव की इच्छा तो मंत्री बनने की थी, पर हाईकमान ने उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दे दी। कहते हैं भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष को कोई ख़ास रोल होता नहीं है। संगठन महामंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस वजह से किरण देव संगठन से सत्ता की तरफ जाना चाहते थे। इसके अलावा हर विधायक की इच्छा मंत्री बनने की होती है, वही इच्छा किरण देव की भी बताई जाती है। बस्तर से अभी केदार कश्यप ही मंत्री हैं। वहां से एक मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश तो है। किरण देव के संगठन मुखिया बनने से बस्तर से किसी और आदिवासी विधायक को मौका मिलने की संभावना है। चर्चा है किरण देव पर ट्राइबल लॉबी भारी पड़ गया। साय मंत्रिमंडल में अभी सामान्य वर्ग से विजय शर्मा उप मुख्यमंत्री हैं। शेष ओबीसी, एसटी और एससी वर्ग से हैं।

सुबोध सिंह ही रहेंगे ऊर्जा सचिव ?

वैसे तो रोहित यादव के लंबे अवकाश पर जाने की वजह से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह को ऊर्जा विभाग का प्रभार दिया गया है, पर चर्चा है कि आगे भी सुबोध सिंह के पास ऊर्जा विभाग के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के अध्यक्ष की जिम्मेदारी रहेगी और छुट्टी से लौटने के बाद रोहित यादव को कोई दूसरा विभाग दे दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के पास ऊर्जा विभाग है और सुबोध सिंह उनके प्रमुख सचिव हैं। डॉ. रमन सिंह और भूपेश बघेल के राज में भी मुख्यमंत्री के सचिव ऊर्जा सचिव रहे हैं। सुबोध सिंह और रोहित यादव दोनों ही हाल ही के महीनों में भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति से छत्तीसगढ़ लौटे हैं। सुबोध सिंह बाद में आए। रोहित यादव पहले आ गए थे। मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद से ऊर्जा लेकर रोहित यादव को सौंपा गया था। अब इंतजार है छुट्टी से लौटने के बाद रोहित यादव को कौन सा विभाग मिलता है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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