भू-विस्थापित ग्रामीणों ने एसईसीएल प्रबंधन का फूंका पुतला

मुआवजा में कटौती का विरोध

कोरबा 14 अक्टूबर। ऊर्जाधानी संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी ललित महिलांगे ने प्रभावित ग्रामीणों के साथ मिलकर ग्राम कृष्णानगर में रावण की जगह एसईसीएल प्रबंधन का पुतला दहन किया।

ललित महिलांगे ने कहा की ष्एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा के प्रभावितों के पैतृक संपत्ति के साथ एसईसीएल प्रबंधन ग्रामीणों के साथ खेल खेल रही है। उद्योग नीति में बने कानून कोल बेयरिंग एक्ट, कोल इंडिया पॉलिसी, लार पॉलिसी के नियमों का हवाला देकर ग्रामीणों के साथ जबरन मुआवजे में कटौती कर परोसा जा रहा है, जबकि 2013 छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के नियमों का प्रबंधन खुला उल्लंघन कर रही है। इस नियम में ग्रामीणों के पैतृक संपत्ति के मुआवजे में सोलिशियम सहित चार गुना मुआवजा व हर प्रभावित व्यक्ति को पूरी व्यवस्थाओं के साथ बसाहट देना है।

उन्होंने आगे कहा की एसईसीएल प्रबंधन सिर्फ अपने उच्च अधिकारियों को खुश करने के लिए अपनी पीठ थपथपा कर वाही-वाही ले रहा है और साथ ही खदान विस्तार को तेजी से आगे बढ़ते हुए ग्रामों के ही नजदीक ला रहा है। इससे ग्रामीणों की बुनियादी सुविधाएं पानी, कुआं, बोर सब सूख सा गया। विद्यालय व आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले छात्र, ग्राम में रहने वाले ग्रामीण हैवी ब्लास्टिंग के कारण जान जोखिम में रखे हैं। प्रबंधन ने आफत खड़ी कर दी हैं। सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति कर रही है। ग्रामो से लगे महज 10 मीटर में कोई सुरक्षा नहीं होने के कारण अप्रिय घटना घटित हो सकती है।

ललित महिलांगे ने जारी बयान में कहा है कि प्रबंधन का रवैया ग्रामीणों के बीच ठीक नहीं है। ग्रामीणों का विश्वास हासिल कर खदान का विस्तार किया जाना चाहिए। प्रशासन द्वारा भी इस कार्य के लिए ग्रामीणों के सामने आकर इस विषम परिस्थिति का निराकरण किया जाना अति आवश्यक है। यदि सही निराकरण नहीं होगा तो भविष्य में प्रबंधन व कोयला खदान के लिए विरोध के स्वर उठना लाजिमी है। प्रशासन को हस्तक्षेप कर प्रबंधन को नया कानून 2013 छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के नियमों का पालन करवाना अति आवश्यक है जिससे ग्रामीणों में विश्वास पैदा हो कि उनके पैतृक संपत्ति का सही मूल्यांकन बोर्ड के दर के हिसाब से किया जा रहा है। प्रभावित ग्रामों के ग्रामीणों ने शपथ ले प्रदेश के लोगों को दशहरा का संदेश देते हुए बधाई व शुभकामनाएं दी।

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