छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में किंग कोबरा (पहाड़ चित्ती) का मिलना अपने आप में अनोखा हैः नोवा नेचर
कोरबा 28 सितंबर। राज्य में कोरबा जिला अपने जैवविविधता के लिए जाना जाता है जहा सांपो की कई प्रजातियां मिलती हैं और इस वजह से इसे छत्तीसगढ़ का नागलोक भी कहा जा सकता हैं।
खाद्य और गरम जगहों की तलाश इन जीवों को मानवीय रहवास तक लाती है जिससे सर्प दंश की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जो की चिंता का विषय हैं, अंध विश्वास और जागरूकता की कमी के कारण कई बार इलाज ना मिलने पर मौत भी हो रही हैं, और भी कारण जैसे लोगों का जमीन पर सोना, मच्छर दानी का उपयोग न करना और झाड़ फूंक आदि के चक्कर में पड़ रहे।
छत्तीसगढ़ राज्य वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा राज्य के कोरबा जिले में किंग कोबरा पे कई सालों से काम किया जा रहा है इसी कड़ी में टीम का ध्यान सर्प दंश को कम करने का है। सर्प बचाव दल द्वारा लगातार सांपों के बचाव कार्य कर लोगों की जान बचाई जा रही हैं साथ ही चिकित्सा विभाग के साथ मिल कर दंश का जल्द से जल्द उपचार, लोगों को जागरूक करना, यदि दंश से मृत्यु हो जाती है उस स्तिथि में मुआवजे की प्रक्रिया में मदद करना जैसे विषयों में मदद प्रदान कार्तिवाई हैं। कोरबा के 200000 हेक्टेयर में रेस्क्यू करने अलग अलग गांव में रिस्पॉन्स टीम बना कर विस्तृत तरीके से काम किया जा रहा हैं।
किंग कोबरा प्रोजेक्ट क्या है- कोरबा की पहचान यहां पे पाए जाने वाले सर्प विविधता के कारण अक्सर सुर्खियों में रहता हैं पुरे मध्य भारत में केवल छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में विश्व का सबसे विशाल विषधर साप किंग कोबरा (पहाड़ चित्ती) का मिलना अपने आप में अनोखा हैं ऐसे दुर्लभ सांप के साथ अन्य सभी सरीसृपों और वन्यजीव के संरक्षण के लिए पिछले 5 सालों से किंग कोबरा प्रोजेक्ट कोरबा में किया जा रहा हैं। और इस मुहीम के माध्यम से आम जनमानस को वन्यजीव संरक्षण से जोड़ा जा रहा हैं।
नोवा नेचर के अध्यक्ष एम सुरज और सचिव मोइज अहमद के मार्गदर्शन में टीम के जितेंद्र सारथी, मयंक बागची और सिद्धांत जैन ने कोहडिया क्षेत्र में सर्प दंश से मृत बच्ची के परिवार से मिले और संवेदना जाहिर किया साथ ही इस दुख के घड़ी में हर सम्भव मदद करने की बात कहीं, साथ ही घटना की पूरी जानकारी ली जिसमे बच्ची की मां ने बताया रात 2 बजे बच्ची बोली मां गले में दर्द हो रहा और पेट में दर्द हो रहा जिसके फौरन बाद उसको पास ही के चिकत्सालय में ले जाया गया जहां से सीधे जिला अस्पताल ले जानें को कहा गया, जहां जिला अस्पताल में उपचार के दौरान बच्ची की मौत हो गई, बच्ची के मां पूरी तरह टूट चुकी थी साथ ही इस घटना से पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ था, वहीं हाल ही में पड़री पानी और बैगमार गांव में सर्प दंश से मृत पीड़ित परिवार से भी मुलाकात किया गया।
विश्व में भारत सबसे ज्यादा सर्प दंश के घटनाओं के लिए जाना जाता हैं और छत्तीसगढ़ जिसका 70ः जनसंख्या आज भी कृषि आधारित हैं और 44ः भू भाग वनों से आचादित में यह घटनाएं कम नहीं हैं। 2018 से 2023 के मध्य राज्य में 16000 से ज्यादा सर्प दंश की घटनाएं हुई हैं। ऐसे में इसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और इस दिशा में सभी को मिल कर कार्य करने की जरूरत हैं।