हाथियों के दल ने जिल्गा, बरपाली व श्यांग में रौंदी फसल
वन विभाग उत्पात को रोक पाने में नाकाम
कोरबा 26 सितंबर। जिले के कुदमुरा वन परिक्षेत्र में 24 घंटे तक मौजूद रहने के बाद हाथियों का दल बीती रात मांड नदी पार कर पुनः धरमजयगढ़ वनमंडल के जंगल लौट गया है। हाथियों के दल को आज सुबह यहां विचरण करते हुए देखा गया जिसकी जानकारी लगते ही वन विभाग के साथ-साथ क्षेत्र के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। इससे पहले हाथियों ने रास्ते में जिल्गा, बरपाली में 15 तथा श्यांग में पांच ग्रामीणों की धान की फसल को रौंद दिया जिससे संबंधितों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
ज्ञात रहे हाथियों का दल कोइलार के रास्ते मंगलवार की रात को पहुंचा था। बुधवार को दिन भर जिल्गा व आसपास के क्षेत्रों में विचरण करने तथा फसलों को चौपट करने के बाद रात में मूव्हमेंट किया और कुदमुरा वन परिक्षेत्र की सीमा को पार कर सुबह 3 बजे के लगभग धरमजयगढ़ वनमंडल के जंगल में प्रवेश कर गया। इस दौरान रास्ते में बड़ी मात्रा में फसल को रौंद दिया। ग्रामीणों द्वारा फसल रौंदे जाने की सूचना दिए जाने पर वन विभाग का अमला आज सुबह मौके पर पहुंचा और नुकसानी का आंकलन करने के साथ ही रिपोर्ट तैयार की। सर्वे कर रहे अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मुताबिक हाथियों के उत्पात में ग्रामीणों को हजारों रुपए का नुकसान हुआ है। ज्ञात रहे बड़ी संख्या में हाथियों के एकाएक पहुंचने से क्षेत्र में हडकंप मच गया था और लोग जन-धन व फसल की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हो गए थे। हाथियों के वापस लौटने से उन्होंने राहत की सांस ली है।
उधर कटघोरा वनमंडल के केंदई रेंज में मौजूद सभी हाथी अब पसान रेंज अंतर्गत सेमरहा जंगल पहुंच गए हैं। हाथियों के दल ने जंगल पहुंचने से पहले रास्ते में हरदेवा व सेमरहा गांव में 30 से अधिक ग्रामीणों की फसल को तहस-नहस कर दिया जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। सेमरहा क्षेत्र में 40 से अधिक हाथियों के पहुंचने से क्षेत्रवासी भयभीत हैं और ग्रामीण हाथियों के डर से अपने घरों अथवा गांव में ही दुबके रहने को मजबूर हैं। लगभग दो दशक से जिले में हाथी उत्पात की समस्या बनी है। इस पर अब तक कई करोड़ की राशि अलग-अलग तरीके से खर्च हो चुकी है। मानव हाथी द्वंद के जुमले तक सिमटा हुआ वन विभाग उत्पात को रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम नजर आ रहा है।