कोरबा एयर स्ट्रिप कांड: कितनी हकीकत, कितना फ़साना?
कहीं इसके पीछे बालको प्रबन्धन के दोहन की साजिश तो नहीं?
गेंदलाल शुक्ल
कोरबा। छत्तीसगढ़ शासन का स्टेट प्लेन कोरबा के रुमगरा एयरस्ट्रिप पर लड़खड़ाते- हिचकोले खाते हुए उतरता है। प्लेन में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह और अन्य लोग सवार रहते हैं। पायलट के हवाले से कहा जाता है कि एयर स्ट्रिप का बेहतर रखरखाव नहीं होने के कारण उसमें तकनीकी खराबी है और पायलट ने सूझबूझ से काम नहीं लिया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सभी वी आई पी इसी एयर स्ट्रिप से उड़ान भरकर रायपुर लौटते हैं। वित्त मंत्री, एयर स्ट्रिप की बदहाली पर नाराजगी जताते हैं। कोरबा कलेक्टर अजित वसंत सी एस ई बी और बालको प्रबन्धन को नोटिस जारी कर तीन दिनों में एयर स्ट्रिप को लेकर जवाब तलब करते हैं। इस घटना को लेकर मीडिया में कोहराम मच जाता है। लेकिन दो दिन बाद अब, जब समुंदर की लहरें शांत पड़ चुकी हैं, तो कुछ सवाल मौजूं हो रहे हैं। ये सवाल छत्तीसगढ़ की राजनीति और ब्यूरोक्रेट्स के आचरण को लेकर हैं।
रूमगरा एयर स्ट्रिप मूलतः पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल और वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मण्डल के स्वामित्व में है। परन्तु इसके रखरखाव की जवाबदारी प्रशासन ने भारत एल्युमिनियम कम्पनी बालको को दे रखी है। लगभग 30 वर्षों से बालको एयर स्ट्रिप की देखरेख कर रहे है। इस एयर स्ट्रिप का उपयोग कभी- कभार ही होता है। गत वर्ष जुलाई माह में वेदांता समूह के कुछ सीनियर एग्जीक्यूटिव के साथ एक प्लेन यहां उतरा था। 26 जुलाई 2024 को कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इसी एयर स्ट्रिप से चार्टर प्लेन से रायपुर की उड़ान भरी थी। इसके बाद 19 सितम्बर 24 को राज्य शासन का प्लेन रूमगरा आया और बड़ा कांड हो गया। लेकिन अब इस कांड की सच्चाई पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है।
इस हिचकोले कांड में सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि स्टेट प्लेन के पायलट ने तकनीकी रूप से अनुपयुक्त एयर स्ट्रिप में लैंड क्यों किया? प्रशासन का कहना है कि पायलट ने एयर स्ट्रिप में तकनीकी खामी बताया है। खबर यह भी है कि प्लेन एयर स्ट्रिप पर नीचे आया और जमीन को छूते की लड़खड़ाया तो पायलट उसे दोबारा उड़ा ले गया। करीब 5 मिनट आकाश में चक्कर लगाने के बाद प्लेन की दोबारा लैंडिंग हुई और वह लड़खड़ाते- हिचकोले खाते हुए लैंड कर पाया। युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू ने तो दावा कर दिया कि सबकी जान हलक में आ गई थी। लेकिन पायलट ने सूझ बूझ के साथ सफल लैंडिंग की। सवाल यहीं उठता है कि पायलट ने तकनीकी खराबी की जानकारी मिलने के बाद भी प्लेन की लैंडिंग क्यों की ? क्या उसने चार- चार वी आई पी की जान को खतरे में नहीं डाल दिया था?
बहरहाल प्लेन से उतर कर सभी वी आई पी निजी कार्यक्रम में चले गए। एयर स्ट्रिप में कलेक्टर- एस पी मौजूद थे, मगर तकनीकी खामी पर कोई बात नहीं हुई। दो घण्टे बाद वापसी के समय पायलट ने तकनीकी खामी की जानकारी दी और वित्तमंत्री ओ पी चौधरी ने एयर स्ट्रिप का निरीक्षण किया। सवाल यहां पूछा जा सकता है कि स्टेट प्लेन के चालक ने तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण एयर स्ट्रिप से वी आई पी के साथ वापसी की उड़ान क्यों भरी? क्या लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान पायलट ने जान बूझकर वी आई पी की जान खतरे में नहीं डाल दिया था?
सवाल यह भी है कि क्या पायलट के खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी? उसने आखिर वी आई पी की जान से खिलवाड़ की मिसाल जो पेश की है? स्टेट प्लेन के पायलट के साथ यात्रा करना, इस घटना के बाद कितना सुरक्षित है? स्टेट प्लेन में मुख्यमंत्री, गवर्नर, अन्य कैबिनेट मंत्री और वी आई पी अक्सर उड़ान भरते रहते हैं, लिहाजा इन सवालों पर गौर करना जरूरी है। खासकर तब तो अनिवार्य हो जाता है, जब इसी दिन सुबह 9.30 बजे स्टेट प्लेन कोरबा आकर एयर स्ट्रिप का जायजा लेकर रायपुर लौटता है और दोपहर 2 बजे वी आई पी को साथ लेकर पुनः कोरबा आता है और एयर स्ट्रिप में तकनिकी खामी बताता है। जांच इस बात की भी किये जाने की जरूरत है कि जिला प्रशासन ने त्रुटिपूर्ण एयर स्ट्रिप में लैंडिंग की अनुमति क्यों दी? क्या वह इतना ही लापरवाह है कि उसे जिले के इकलौते एयर स्ट्रिप की ताजा स्थिति की कोई जानकारी नहीं थी? क्या कलेक्टर और अन्य आला अफसर इस कथित घटना के लिए जिम्मेदार नहीं हैं?
बहरहाल, यह एयर स्ट्रिप कांड का एक पक्ष है। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि कहीं यह बालको प्रबन्धन के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं? कहना न होगा कि कोरबा जिला नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के लिए वर्षों से दुधारू गाय मानी जाती है। खासकर बालको में हो रहा हजारों करोड़ रुपयों का विनिवेश सभी वर्गों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव के जरिये बालको में काम लेना और मालामाल होना अर्थ पिपासुओं का लक्ष्य रहा है। पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के समय लोगों ने बालको का बेहिसाब दोहन किया था। राजधानी रायपुर में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं, उनके करीबी कथित सिपहसालारों और उनके प्रॉक्सी अवतार, कई ब्यूरोक्रेट्स और उनके इर्द-गिर्द फेरे लेने वाले लोग आज बेशुमार दौलत के मालिक बन गए हैं। कांग्रेस शासनकाल के कामों से भाजपाई नावाकिफ नहीं हैं। उस समय भी कुछ चतुर नेता मलाई की हांडी में डूब उतरा रहे थे, लेकिन तब उनके हिस्से में केवल तलछट ही था। कहा जा रहा है कि अब, जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है, तो मलाई की पूरी हांडी इन्हें चाहिए। चर्चा है कि बालको प्रबन्धन केवल कोरबा विधायक और प्रदेश के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को तवज्जो दे रहा है। प्रदेश के किसी अन्य मंत्री नेता की नहीं सुन रहा है? स्थानीय ब्यूरोक्रेट्स केवल अपने तक सीमित हैं। इस हालत में यह सन्देह भी जताया जा रहा है कि एयर स्ट्रिप काण्ड कहीं बालको पर काबू पाने का हथकण्डा तो नहीं है? बहरहाल, सच्चाई जो हो, इस पूरे काण्ड की हाई लेबल इन्क्वारी की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता।