कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी (09 JUNE-24) : रवि भोई
मोदी कैबिनेट में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कौन करेगा?
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार में छत्तीसगढ़ से कौन मंत्री बनेगा, यह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे तीन नाम सुर्ख़ियों में हैं, ये हैं रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल, दुर्ग के विजय बघेल और राजनांदगांव के संतोष पांडे। मंत्री पद की दौड़ में तीनों के नाम चलने के पीछे कारण भी हैं। बृजमोहन अग्रवाल अब तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं और आठ बार से विधायक हैं। वे छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले सांसद भी हैं। इनका नाम देश में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले टॉप 10 सांसदों में भी है। इनकी पहचान जमीनी नेता के साथ चुनावी मैनेजमेंट में भी है। संतोष पांडे ने इस बार राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हराया है और दूसरी बार के सांसद हैं। इसके अलावा उन्हें हिंदुत्ववादी चेहरे वाला नेता माना जाता है। विजय बघेल भी दूसरी बार के सांसद हैं और ओबीसी नेता हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भूपेश बघेल को कड़ी चुनौती दी थी। विजय बघेल 2023 के विधानसभा चुनाव में घोषणा समिति अध्यक्ष भी थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा का घोषणा पत्र काफी असरकारक रहा था। मोदी कैबिनेट में अब तक छत्तीसगढ़ से एक राज्यमंत्री रहे हैं। वैसे अटल कैबिनेट में छत्तीसगढ़ से एक साथ तीन राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि ज्यादा संभावना छत्तीसगढ़ से राज्य मंत्री बनाए जाने की ही है। नरेंद्र मोदी ने अपने दो कार्यकाल में छत्तीसगढ़ से कैबिनेट में आदिवासी नेता को ही प्रतिनिधित्व दिया। इस कारण किसी आदिवासी सांसद को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलने की भी संभावना जताई जा रही है। इस बार राज्य की चारों आदिवासी सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।
अमर और मूणत मजबूत दावेदार ?
यह तो अब साफ़ हो गया है कि बृजमोहन अग्रवाल लोकसभा जाएंगे और विधानसभा से इस्तीफा देंगे, ऐसे में साय मंत्रिमंडल में एक और पद जल्द रिक्त हो जाएगा। मंत्रिमंडल में एक जगह पहले से खाली है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अब दो विधायकों को मंत्री बना सकते हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखकर लग रहा है कि अब नया प्रयोग शायद ही हो, ऐसे में किसी अनुभवी और पुराने विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। मंत्री के लिए अनुभवी नेताओं में अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर का नाम चर्चा में है। साय मंत्रिमंडल में ओबीसी कोटे से छह मंत्री हैं। बिलासपुर संभाग से अरुण साव मंत्रिमडल में हैं। कुर्मी समाज से टंकराम वर्मा मंत्री हैं। बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद छोड़ने के बाद अग्रवाल -जैन समाज का प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा, साथ में रायपुर से भी कोई मंत्री नहीं होगा। अग्रवाल -जैन समाज को प्रतिनिधित्व देने की रणनीति के चलते मंत्री बनने की दौड़ में अमर अग्रवाल और राजेश मूणत को आगे बताया जा रहा है। दोनों रमन मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में सभी ट्राइबल सीटें भाजपा ने जीती है, इस कारण एक मंत्री पद किसी आदिवासी नेता को मिलने की अटकलें लगाईं जा रही है। अभी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत तीन आदिवासी नेता कैबिनेट में हैं।
कांग्रेस की राजनीति में बढ़ेगा महंत का कद
माना जा रहा है कि कोरबा लोकसभा सीट में ज्योत्सना महंत की जीत से नेता प्रतिपक्ष और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ चरणदास महंत का कद पार्टी में बढ़ेगा। राज्य की 11 लोकसभा सीटों में कोरबा ही कांग्रेस जीत पाई। यहां से डॉ चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत दूसरी बार सांसद चुनी गईं हैं। ज्योत्सना महंत ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की इज्जत बचा ली। भूपेश बघेल का पूर्व मुख्यमंत्री वाला तमगा काम नहीं आया और वे लोकसभा चुनाव हार गए। पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू,डॉ शिवकुमार डहरिया और कवासी लखमा भी अपना जादू दिखा नहीं पाए। बिलासपुर में देवेंद्र यादव का दम भी नहीं दिखा। कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया जैसे नेता अपनी इज्जत नहीं बचा पाए, ऐसे में महंत ने अपने बलबूते छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नाक बचा ली। महंत संयुक्त मध्यप्रदेश के जमाने से सांसद और मंत्री के साथ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
नहीं दिखा दुर्ग का दम
दुर्ग से निकलकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव,भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे कोरबा,विधायक देवेंद्र यादव बिलासपुर और पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू महासमुंद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और चारों नेता संसद नहीं पहुँच सके। कहते हैं सरोज पांडे राज्यसभा सदस्य रहते पालक सांसद के तौर पर कोरबा में अपनी जमीन तैयार की थी, लेकिन मेहनत काम नहीं आई। सरोज पांडे को चुनाव जीताने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता कोरबा में डेरा डाले रहे, पर उनकी मेहनत सफल नहीं रही। कहते हैं महासमुंद लोकसभा सीट में साढ़े छह लाख के करीब वोटर हैं और साहू वोटरों के दम पर ही भाजपा के चंदूलाल साहू और चुन्नीलाल साहू यहां से चुनाव जीते भी, पर ताम्रध्वज साहू गच्चा खा गए, जबकि ताम्रध्वज साहू समाज के अध्यक्ष भी रह चुके थे। कहा जा रहा है कि गृह मंत्री रहते बिरनपुर घटना से मुँह मोड़ना ताम्रध्वज साहू को भारी पड़ा और महासमुंद और गरियाबंद के प्रभारी मंत्री के रूप में रूखापन ने लोकसभा चुनाव में कांटे का काम किया। दुर्ग से बिलासपुर जाकर देवेंद्र यादव न तो एनएसयूआई और युवक कांग्रेस वाला जलवा दिखा सके और न ही यादव कार्ड अच्छे से खेल सके। भूपेश बघेल भी राजनांदगाँव में न पांच साल वाले मुखिया का रंग दिखा सके और न ओबीसी कार्ड का जलवा दिखा सके।
जायसवाल और देवांगन पर खतरे के बादल
चर्चा है कि कोरबा लोकसभा सीट से भाजपा की हार के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल और उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। देवांगन कोरबा से विधायक हैं और लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को अच्छी खासी लीड मिली है, फिर भी सरोज पांडे की हार से उनकी राह कठिन मानी जा रही है, क्योंकि सरोज पांडे को कोरबा छोड़कर कहीं लीड नहीं मिली। कोरबा से लगे कटघोरा विधानसभा में भी वे पिछड़ गईं। 2023 के विधानसभा चुनाव में श्यामबिहारी जायसवाल को मनेंद्रगढ़ विधानसभा में 48 हजार से अधिक वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी को 42 हजार से कुछ ज्यादा वोट मिले। कहा जा रहा है छह हजार का गड्डा श्यामबिहारी को कहीं भारी न पड़ जाय। माना जा रहा है कि अभी मंत्रियों को काम करे छह महीने भी नहीं हुए हैं, ऐसे में तत्काल कोई एक्शन की उम्मीद नहीं है,पर आने वाले समय में समीक्षा का आधार हो सकता है। इस कारण दोनों मंत्रियों को डेंजर जोन में माना जा रहा है।
लंबी पारी नहीं खेल पाए अभिजीत सिंह
2012 बैच के आईएएस अभिजीत सिंह कांकेर कलेक्टर के रूप में लंबी पारी नहीं खेल पाए। नारायणपुर में भी वे ज्यादा समय कलेक्टरी नहीं कर पाए थे। भाजपा की सरकार ने उन्हें जनवरी 2024 में प्रियंका शुक्ला की जगह कांकेर का कलेक्टर बनाया था। कहते हैं लोकसभा चुनाव में उनका मैनजमेंट ठीक नहीं रहने के कारण सरकार ने आचार संहिता खत्म होने के दूसरे दिन ही उन्हें कांकेर के कलेक्टर पद से हटाकर गृह विभाग का विशेष सचिव बना दिया। मजेदार बात है कि अभिजीत सिंह गृह विभाग के संयुक्त सचिव पद से कांकेर कलेक्टर बनाए गए थे। कांकेर कलेक्टरी से फिर पुराने विभाग में आ गए।
आईएएस अवर सचिव
आमतौर पर मंत्रालयीन सेवा या राज्य सेवा के अफसरों को मंत्रालय में अवर सचिव बनाया जाता है। अबकी बार 2021 बैच के आईएएस वासु जैन को मंत्रालय में अवर सचिव बनाया गया है, वह भी योजना और आर्थिक सांख्यिकी विभाग का। वासु जैन सारंगढ़ के एसडीएम थे। नए या प्रोबेशनर आईएएस को सामान्यतः एसडीएम, एडिशनल कलेक्टर या फिर किसी छोटे जिले में सीईओ जिला पंचायत बना दिया जाता है। अब वासु जैन को योजना और आर्थिक सांख्यिकी विभाग का अवर सचिव बनाए जाने पर कयासों का बाजार गर्म है। योजना और आर्थिक सांख्यिकी विभाग में कोई ख़ास काम होता नहीं है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)