मुख्यमंत्री वन संपदा योजना के तहत पेड़ लगाकर समृद्ध व खुशहाल होंगे किसान
कोरबा 14 फरवरी। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री वन संपदा योजना की शुरूआत की गई है। जिसके तहत किसान अपनी जमीन व खेतों पर निलगिरी, चंदन व सागौन का पेड़ लगाकर मालामाल हो सकेंगे। किसानों के खेतों व जमीन पर पौधरोपण का काम वन विभाग करेगा। पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को इस योजना के तहत शत प्रतिशत अनुदान शासन की ओर से दिया जाएगा। जबकि पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान शासन की ओर से देय होगा और 50 प्रतिशत खर्च स्वयं किसान को करना होगा। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में 36 हजार एकड़ निजी भूमि पर पेड़ लगाने लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है।
कोरबा जिले के दोनों वन मंडल कटघोरा व कोरबा भी जिले को मिले लक्ष्य की पूर्ति की के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित गांवों में जाकर इस योजना की विस्तार से जानकारी दी और गांवों में सर्वे कराने के साथ ही वहां के किसानों से पौधरोपण के लिए सहमति ली है, जिस पर किसानों ने अपनी जमीनों पर पेड़ लगाने की सहमति दी है। कोरबा वन मंडल में अन्य परिक्षेत्रों के अलावा करतला व बालको नगर परिक्षेत्र में वन विभाग के अधिकारियों ने सर्वेक्षण करने के साथ ही किसानों से सहमति ली है, जिसके तहत करतला वन परिक्षेत्र में स्थित गांव के लगभग 165 किसानों ने अपने.अपने खेतों व जमीनों में पेड़ लगाने की सहमति देते हुए योजना से सरोकार दिखाने में रूचि ली है। जिसका रकबा 236.559 हेक्टेयर के लगभग है, जहां क्लोनर निलगिरी के 33, 980, चंदन के 1300 तथा सागौन के 48,614 नग पेड़ लगाया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव बनाकर रोपण की प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। इसी प्रकार बालको वन परिक्षेत्र में भी 120 एकड़ भूमि पर 102 किसानों ने मुख्यमंत्री वन संपदा योजना के तहत क्लोनर निलगिरी, चंदन, सागौन सहित अन्य पेड़ लगाने की सहमति दी है। जिस पर वृक्षा रोपण किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार लगाए गए पेड़ पांच साल की अवधी में तैयार हो जाएगें इसके तैयार होने पर किसानों को पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा लाभ होगा। जब तक पेड़ तैयार नहीं हो जाएंगे। प्रत्येक वर्ष शासन की ओर से किसानों को 15 हजार रूपए प्रति एकड़ दिया जाएगा। पेड़ों के तैयार होने पर उसे काटने की स्वयंहित अनुमति रहेगी। शासन द्वारा यह भी प्रयास किया जा रहा है कि कास्ट उद्योग से जुड़ी बड़ी.बड़ी कंपनियों के साथ किसानों का एमओयू हो जाए। जिसके तहत ये कंपनियां पेड़ों के तैयार होने पर उसका भुगतान कर अपने उद्योगों में ले जा सकेंगे। तथा बदले में इसकी कीमत सीधे किसानों के खाते में डाल सकेंगे। पंजाब व तमिलनाडू में यह योजना काफी सफल रहा है। वहां के जिन किसानों ने इसे अपनाया है वे पांरपरिक खेती को भूल गए है और खेतों में पेड़ लगाकर अधिक लाभ कमा रहे हैं।