कोल प्रदूषण के बीच काम करने कोयला कामगार मजबूर : दीपेश मिश्रा

कोरबा 10 मई। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कोरबा क्षेत्र के अंतर्गत मानिकपुर खुली खदान मे पानी का छिड़काव न होने से कोयला डस्ट, राखड, धूल, कोयला धुआं तथा भारी वाहनों के लगातार आवागमन से उड़ रहे धूल के गुबार के कारण खदान एवं दिगर जगह दृश्यता कमजोर हो गई है । वहीं खदान के अगल बगल के रिहायशी क्षेत्र मे रहने वाले निवासियों को भी प्रदूषण के चलते जीना दूभर हो गया है।

इस तरह की समस्याएं परियोजना में काफी समय से बनी हुई हैं और इस बारे में लगातार प्रबंधन को अवगत कराया जाता रहा है लेकिन अब तक किसी प्रकार की अपेक्षित कार्रवाई नहीं की गई। एटक के पदाधिकारी दीपेश मिश्रा ने टेलीफोन से महाप्रबंधक मानिकपुर दिपक पंड्या से बातचीत की परन्तु नतीजा सिफर रहा। मानिकपुर परियोजना आज से नहीं बल्कि 50 सालों से लगातार 150 से 200 करोड़ प्रति वर्ष लाभ दे रहा है पर यहां के कामगारों को बुरी तरह सताया जा रहा है। इसके साथ ही सुरक्षा के मापदंडों को ताक पर रखकर मजदूरों से जबरन कार्य लिया जा रहा है । वंही मजदूरों का बात बात पर हाजिरी काट देना आम बात हो गई है। सिर्फ इतना ही नहीं यहां प्रबंधन पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है । वहीं मजदूरों को बेवजह प्रताड़ित कर बलि का बकरा बनाया जा रहा है।न प्रबंधन के इन्हीं हरकतों ने उनका काला चेहरा बेनकाब कर दिया है । खदान मे जो गैरकानूनी और मजदूर विरोधी कार्य हो रहा है, उसके लिए सिर्फ  प्रबंधन ही एकमात्र जिम्मेदार है। न इसे किसी भी कीमत मे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा जा रहा है कि 15 दिन के भीतर इन समस्याओं का हल नहीं निकाला गया तो मानिकपुर खदान मे खनन गतिविधियों को पूरी तरह रोक दिया जाएगा। वहीं कोयला उत्पादन एवं प्रेषण को भी पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा।

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