रेत घाटों में नवीनीकरण की प्रक्रिया बाधित, सरकारी निर्माण कार्यों में हो रही परेशानी

कोरबा 22 दिसम्बर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा 15 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर रोक लगाई गई थी जो 2 महीने पहले हटा ली गई है। इसके बाद भी कोरबा जिले में वर्तमान स्थिति में अधिकृत रेत घाटों से खनन संबंधी गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित नहीं हो सकी हैं। 18 में से कुछ ही घाट शुरू किए गए हैं जबकि कुछ मामलों में नवीनीकरण की प्रक्रिया बाधित है। इन कारणों से निर्माण कार्य से संबंधित लोग परेशान हैं। उन्होंने प्रशासन को बता दिया है कि ज्यादा नुकसान सहकर कामकाज नहीं किया जा सकता।

कोरबा जिले में कोयला खनिज से सरकार को कई हजार करोड़ की रॉयल्टी हर वर्ष से प्राप्त हो रही है। इसके अलावा निर्धारित लक्ष्य का 10 फ़ीसदी हिस्सा गौण खनिज से पूरा हो रहा है। इस मामले में सबसे ज्यादा मांग रेत की है। निर्धारित प्रक्रियाओं के अंतर्गत कोरबा जिले में रेत खनन और परिवहन करने के दावे लगातार किए जा रहे हैं लेकिन सच्चाई यही है कि 15 जून से 15 अक्टूबर तक रेट घाटों को बंद करने के बाद अब की स्थिति में 50 फ़ीसदी रेत घाट ही संचालन में बने हुए हैं। इस के चक्कर में सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्यों में लगे लोगों को कई प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। रॉयल्टी के अभाव में लोगों को सही कीमत पर रेत नहीं मिल पा रही है और उन्हें इसके लिए काले बाजार का सहारा लेना पड़ रहा है। समस्या का समाधान कराने के लिए छत्तीसगढ़ कांटेक्ट एसोसिएशन आगे आया है उसके पदाधिकारियों ने इस मामले में प्रशासन से मुलाकात की। कोरबा जिला इकाई के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने बताया कि आसानी से कहीं भी रेत नहीं मिल पा रही है। अव्यवस्था के कारण हर कोई परेशान है। कांट्रेक्टर एसोसिएशन के द्वारा प्रशासन को कहा गया है कि कुछ मौकों पर काम चलाने के लिए काले बाजार का सहारा लिया जा सकता है लेकिन बहुत ज्यादा नुकसान सहने की हिम्मत किसी में नहीं है। कलेक्टर ने इस मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया है।

जिले में अधिकृत घाटों के साथ-साथ अनेक स्थानों पर रेत की चोरी धड़ल्ले से की जा रही है। इस पर रोक लगाने के लिए दावे जरूर हो रहे हैं लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ अलग है। देखना होगा कि छत्तीसगढ़ कांटेक्ट एसोसिएशन के द्वारा जो चिंता इस मामले में जताई गई है उस पर प्रशासन के अधिकारी किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं।

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