दूध नदी
दूध नदी* की कल कल से
मैने कई बार
गड़िया पहाड़ के शिखर को छुआ है
नदी का नाम दूध नदी कैसे पड़ा
क्या गड़िया पहाड़ जानता है
या जानते हैं शहर के लोग
मुझे पता है
गड़िया पहाड़ की मुंह लगी है दूध नदी
गड़िया पहाड़ है तो दूध नदी है
दूध नदी है तो शहर है
दूध नदी को जानने वाले
लोग कहां गये ?
वे जानते थे दूध की तरह उफनती नदी से उनके खेतों में आती थी हरियाली
उनका मानना था इसके पानी में दूध जैसी मिठास है
जिसको चख कर वे
निहाल हो जाया करते थे
वे दिन पानी की तरह पारदर्शी और दूध की तरह सुन्दर थे इसलिए शहर में चमक थी
और यहां बसने वाले का मन
फूल की तरह खिला हुआ था
दूध नदी को जानने वाले लोग
अब शहर में नही रहे
नही रहा वह किस्सा
जब गड़िया पहाड़ का बाघ
नदी के दूधिया पानी में उतरकर मुंह धोता और नदी की मछलियों से बतियाता रेत में खेलता और पालतू जानवर की तरह वापस
चल देता जंगल की ओर
आज भी गड़िया पहाड़ के जानवर दूध नदी के पास आते हैं लेकिन उल्टे पांव लौट जाते है जंगल की ओर
दूध नदी से नही डरते
गड़िया पहाड़ के जानवर
डरते हैं शहर के लोगो से
जहां भीड़ है, शोर शराबा है
बंदूक की आवाज़ हैं
दूध नदी कबसे
शहर में बह रही है
यह किस हालात में हैं ?
कोई नही जनता जबकि
दूध नदी के पुल से निकलती है हज़ार – हज़ार
किसम – किसम की गाडि़याँ, लक्जरी बसें और जाने क्या -क्या
रोज दिन यही से कितने यात्री पहुंचते है अपने – अपने घर
यही से गुजरता है लालबत्ती में बैठे मंत्रियों अधिकारियों का काफिला
पढने वाले छात्र – छात्राएं यही से होकर पहुंचते है अपने स्कूल – कालेज
आफिस – कचहरी बाजार जाने वाले लोगों का रास्ता भी यही है
और तो और सब्जी बेचने वालों की बैल गाडियां भी
रोज सुबह धूल उडाती, धड़धड़ाती दूध नदी के
उपर से निकलती है
लेकिन किसी के चर्चे में
किसी की बातचीत में
दूध नदी नही आती जबकि
बरसो से राजापारा, अन्नापूर्णापारा, भण्डारीपारा
और शहर के अनेक घरों के चौखट को छूती एक आस लिए, बूंद – बूंद बह रही है दूध नदी
कि कभी उसकी आंखों में समुद्र का पानी लहरायेगा
मुख्य बाजार के लकदक – भागमदौड़ के बीच
शहर के पुराने पुल को अपनी बांहों में थामे कब से लोगों के चेहरों को देख रही है दूध नदी
कि आयेंगे उसके पास शहर के लोग राजी खुशी पूछेंगे,
पूछेंगे हाल – चाल
लेकिन कोई नही आता
आते भी है शहर की सारी गंदगी छोड
उसे और मरने के लिए छोड जाते हैं जबकि वे जानते है
कि शहर के हृदय मे बहने वाली इकलौती नदी है दूध नदी
शहर के लोग नही जानते ?
कि दूध नदी मलाजकंडूम से निकलकर महानदी के सरंगपाल मे मिलती है कि दूध नदी से गुजरती है राष्ट्रीय राजमार्ग
कि दूध नदी के पूल से एक शहर दूसरे शहर को जोडता है
कि दूध नदी से शहर की पहचान है, मुझे पता है गड़िया पहाड़ शहर का चौड़ा माथा है, जिससे लोगो के चेहरों मे चमक है तो
दूध नदी शहर का धडकता हुआ दिल जिससे शहर की सांसें चलती हैं, मुझे दुख है
कि शहर के लोग यह नही जानते
दूध नदी को मै जानता हूँ
और दूध नदी मुझे,
जब भी इसके पास से गुजरता हूँ
यह मुझे पुकारती है इसकी आवाज सुन इसके पास बैठता हूं
देख सकता हूं
इसकी आंखों में पानी नही है
दूध नदी कबसे पुकार रही है
जिसे मेरे साथ, गड़िया पहाड़ के अलावा
और कोई सुनना नहीं चाहता
*कांकेर में बहने वाली नदी
बंद टाकीज के सामने
जगदलपुर, बस्तर , छत्तीसगढ़
094242 85311
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