माता के इस मंदिर में खुद ब खुद प्रज्ज्वलित होती है- ज्योति कलश
रायपुर 19 अप्रेल: माता रानी का मंदिर और भक्त दुनिया के हर कोने में मिल जायेंगे.हर मंदिर की अलग अलग गाथा और माहिम हैं.भक्तों की नजरों में तो मातारानी की महिमा अपरम्पार हैं.
छत्तीसगढ़ में ऐसा ही मातारानी का मंदिर दुर्गम पहाड़ियों पर स्थित हैं यहां ज्योत नहीं जलाया जाता बल्कि खुद बखुद ज्योति कलश प्रज्वलित हो जाती हैं.इसे दैवीय चमत्कार ही कहा जायेगा।
हम बात कर रहे है धमतरी जिले के मगरलोड ब्लाक के अंतिम छोर बसे ग्राम मोहेरा में निरई माता का मंदिर की जो दुर्गम पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर साल में केवल एक बार चैत्र नवरात्रि में पड़ने वाले पहले रविवार को महज कुछ घंटों के लिए खुलता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यहां माता को कोई मूर्त रूप नहीं बल्कि निराकार रूप विराजमान है। यह मंदिर गुफा में स्थित है।
मान्यता है कि इस मंदिर में माताजी को भेंट चढ़ाने मात्र से मनोकामना पूरी होती है, कुछ लोग यहां मन्नत पूरी होने पर भी भेंट प्रसाद चढ़ाने पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो जिस दिन माता का दरबार खुलता है, उस दिन को माता जात्रा के नाम से जाना जाता है। इस दिन जिनकी मन्नत पूरी हुई है, वे भक्त भेंट चढ़ाने आते हैं।
निरई माता का मंदिर अंचल के देवी भक्तों की आस्था का केंद्र है, हर साल यहां लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश और उनका पूजा-पाठ करना करना निषेध है। पूजा की सारी रस्मे केवल पुरूष वर्ग के लोग ही निभाते हैं। मान्यता ऐसी भी है कि मंदिर का प्रसाद महिलाएं नहीं खातीं और धोखे से वे प्रसाद खा भी लें तो उनके साथ कुछ अनहोनी हो जाती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो शारदीय और चैत्र नवरात्र दौरान पहाड़ी के ऊपर मंदिर में अपने आप ज्योत प्रज्वलित हो जाती है, जो कि उनके गांव से ही शाम के समय किस्मत वालों को ही दिखाई देती है। जो व्यक्ति भाग्यशाली होता है, उसे ही यह ज्योति कलश के दर्शन होते है। हालांकि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते माता का दरबार बंद रहेगा और भक्तो को दर्शन के लिए आने वाले वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा.