तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए शाख कर्तन शुरू, संग्रहण दर में बढ़त नही
कोरबा 10 मार्च। तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए शाख कर्तन का काम शुरू हो गया है। बीते वर्ष की तरह प्रति एकड़ 55 रूपये मजदूरी दर तय की गई है। तेंदूपत्तों की भी कीमत पूर्व वर्ष की तरह 400 रूपये सैकड़ा रखा गया है। संग्रहण और शाख कर्तन दर में बढ़ोतरी नहीं किए जाने से संग्राहकों में निराशा देखी जा रही है। दर कम होने मजदूर कम आ रहे हैं, जिससे उपज कम होने की संभावना है।
तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए शाख कर्तन का काम वनोपज संग्रहण समितियों को दिया गया है। संग्रहण के लिए शाख कर्तन किए जाने के बाद वन विभाग द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के पश्चात राशि भुगतान करने का नियम है। संग्रहण दर में बढ़त नहीं किए जाने शाख कर्तन के लिए मजदूर कम आ रहे हैं। ग्रीष्म की शुरूवात हो चुकी है। मार्च महीने के भीतर शाख कर्तन करना होता है। शाख कर्तन से कोपलें अधिक निकलती है, जिससे संग्राहकों अधिक पत्ता मिलता है। राज्य शासन ने तेंदूपत्ता संग्रहण लक्ष्य तय कर दिया है। अकेले कोरबा वन मंडल की बात की जाए तो यहां 38 समितियां है। जिनसे 53 हजार 400 मानक बोरा संगहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बीते वर्ष वन मंडल के 38000 संग्राहक परिवारों में 46 हजार तेंदूपत्ता संग्रहित किया था। जिले में ऐसी भी समितियां हैं जिनके पत्तों की बोली सरकारी कीमत से अधिक लगी है। इसके बाद भी संग्रहण दर में बढ़ोतरी नहीं की गई।
तेंदू पत्ता शाख कर्तन के पहले समितियों को प्रशिक्षित करने का प्रावधान है, जिसकें अंतर्गत बड़े फड़ वाले समितियों को ही प्रशिक्षित किया गया है। आम तौर संग्राहकों की मंशा यह होती है कि जंगल में दावा लगने अधिक पत्ते होते हैं। जानकारी के अभाव में सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है। जिससे अंकुरित होने के बजाय पत्ते झुलस जाते हैं और संग्राहक पर्याप्त पत्तों से वंचित होते हैं।
वन भूमि में बढ़ते बेजा कब्जा से तेंदूपत्ता संग्रहण लक्ष्य घटते जा रहा रहा है। वन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष जंगल में नर्सरी लगाने का दावा किया जाता है, लेकिन वनोपज लक्ष्य में बढ़ोतरी नहीं होना दावे को निराधार साबित करता है। तेंदूपत्ता पेड़ों के बजाय विकसित पौधों से तोड़ा जाता है। मैदानी वन भूमि खेत में परिवर्तित किए जाने सबसे अधिक तेंदूपौधों को नुकसान हो रहा है।