सावधान! आपकी जमा रकम पर मंडरा रहा डूबने का खतरा

न्यूज एक्शन। आईएल एंड एफएस (इन्फ्रास्ट्रक्चर लाईजिंग एंड फाईनेशियल सर्विस) का नाम बहुत लोगों ने नहीं सुना होगा। यह एक सरकारी क्षेत्र की कंपनी है। जिसकी 40 सहायक कंपनियां हैं। इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी की श्रेणी में रखा जाता है। जो बैंकों से लोन लेती है। जिसमें कंपनियां निवेश करती है और आम जनता जिसके शेयर खरीदती है। इस लिहाज से इस कंपनी को कई रेटिंग एजेसियों से अति सुरक्षा दर्जा हासिल है। या कहें कि एए प्लस की रेटिंग कंपनी को मिली हुई है। यह कंपनी बैंकों से लोन लेती है लेकिन संंपत्ति गिरवी नहीं रखती। लोन चुकाने कागज पर गारंटी दी जाती है। चूंकि इसके पीछे भारत सरकार होती है। इसलिए इसकी गारंटी पर बाजार को भरोसा होता है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि एक सप्ताह के भीतर इसकी रेटिंग को एए प्लास से घटाने की खबर ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। रेटिंग घटने के साथ ही देशभर की जमा पूंजी डूबने का खतरा पैदा हो गया है। खून पसीने की कमाई डूबने की चिंता ऊर्जाधानी कोरबा के लोगों को भी हो रही है। एए प्लस की रेटिंग हटाकर इसे जंक स्टेटस यानि कूड़ा करकट कर दिया गया है। अब यह कंपनी जंक यानि कबाड़ हो चुकी है। देशभर में 90 हजार करोड़ लोन वाली यह कंपनी अगर डिफाल्टर घोषित हो जाए तो देश में आर्थिक संकट के हालात पैदा हो जाएंगे। बस इसी बात की चिंता देशभर के लोगों के साथ कोरबा के लोगों को भी साल रहा है। कोरबा में कोयला खदान, औद्योगिक संस्थान सहित सार्वजनिक उपक्रम बहुतायत है। कोरबा का व्यापार भी प्रतिदिन करोड़ों, अरबों का है। इस लिहाज से स्थानीय तौर पर कर्मचारियों व व्यापारियों जिन्होंने बीमा, म्युचुअल फंड, पेंशन फंड सहित विभिन्न शेयरों मेंं अपना पैसा लगाया है। खासकर कर्मचारियों के बोनस, डिमेट खाते में जमा होते हैं। मौजूदा समय में दीवाली, दशहरा का बोनस इसी डिमेट खाते में जमा होंगे। सभी कर्मचारियों की यह राशि करोड़ों, अरबों में होती है। इसके अलावा कई अरब की राशि पहले से ही विभिन्न माध्यमों से जमा है। कंपनी अगर डिफाल्ट हुई तो यह रकम डूब जाएगी। यह आम लोगों की मेहनत की कमाई का पैसा है। जो म्युचुअल फंड, पेंशन फंड, बीमा और बैंकों में जमा पूंजी के रूप में बचत की गई है, यह डूब गया तो सब डूबेंगे। इसमें म्यूचुअल फंड कंपनियां भी निवेश करती है। कागज़़ पर लिखे वचननामे पर बैंकों ने आईएल एंड एफएस और उसकी सहायक कंपनियों को लोन दिए हैं। अब वो कागज़़ रद्दी का टुकड़ा भर हंै। 27 अगस्त से जब यह ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी तय समय पर लोन नहीं चुका पाई, डेडलाइन मिस करने लगी तब शेयर मार्केट को सांप सूंघ गया था। 15 सितंबर से 24 सितंबर के बीच सेंसेक्स 1785 अंक गिर गया। नॉन बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के शेयर धड़ाम बड़ाम गिरने लगे।

दिया है बेहिसाब कर्जा
स्मॉल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (एसआईडीबीआई) ने आईएल एंड एफएस और उसकी सहायक कंपनियों करीब 1000 करोड़ का कर्ज़ दिया है। 450 करोड़ तो सिर्फ आईएल एंड एफएस को दिया है। बाकी 500 करोड़ उसकी दूसरी सहायक कंपनियों को लोन दिया है। सिडबी ने इन्साल्वेंसी कोर्ट में अर्जी लगाई है ताकि इसकी संपत्तियां बेचकर उसका लोन जल्दी चुकता हो। एक डूबती कंपनी के पास कोई अपना पैसा नहीं छोड़ सकता वर्ना सिडबी भी डूबेगी। दूसरी तरफ आईएल एंड एफएस और उसकी 40 सहायक कंपनियों ने पंचाट की शरण ली है। इस अर्जी के साथ उसे अपने कर्जे के हिसाब किताब को फिर से संयोजित करने का मौका दिया जाए. इसका मतलब यह हुआ कि जब तक इसका फैसला नहीं आएगा, यह कंपनी अपना लोन नहीं चुकाएगी. तब तक सबकी सांसें अटकी रहेंगी।

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